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क्या है मार्को पोलो ब्रिज घटना? जिसने दी थी दूसरे विश्व युद्ध को दस्तक, तीसरे के लिए कौन होगा जिम्मेदार?

Marco Polo Bridge Incident: आज 7 जुलाई 2025 के दिन का इतिहास द्वितीय विश्व युद्ध का आधार बनी एक घटना है, जिसे मार्को पोलो ब्रिज दुर्घटना कहते हैं। जापान और चीन के सैनिकों में टकराव ने द्वितीय विश्व युद्ध की नींव रखी थी। आइए इस घटना के बारे में जानते हैं...

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Jul 7, 2025 14:02
Marco Polo Bridge Incident | Second World War | History of The Day
Marco Polo Bridge Incident

Aaj Ka Itihas 7 July 2025: आज के दिन का इतिहास उस घटनाक्रम से जुड़ा है, जो दूसरे विश्व युद्ध का आधार बना था। जी हां, बात हो रही है 88 साल पहले 7 जुलाई 1937 को जापान में हई मार्को पोलो ब्रिज घटना की, जिसका परिणाम द्वितीय विश्व युद्ध था। इस घटना के बाद चीन और जापान युद्ध के मैदान में खड़े हो गए थे। मार्को पोलो ब्रिज घटना को लुगोउ ब्रिज घटना भी कहते हैं। बीजिंग के पास बने इस पत्थर के पुल पर 7 जुलाई 1937 की रात को चीन और जापान की सेना भिड़ गई थीं, क्योंकि जापान की गैरीसन रेजीमेंट के सैनिकों ने आरोप लगाया कि एक जापानी सैनिक लापता है और उसे तलाशने के लिए जापान की सेना ने चीन के वानपिंग शहर में सर्च ऑपरेशन चलाने की परमिशन मांगी।

जापान की मांग पर विचार चल ही रहा था कि सैनिकों ने जबरन शहर में घुसने की कोशिश की और चीन की सेना से टकराव हो गया। हालांकि लापता जापानी सैनिक खुद ही लौट आया था, लेकिन इस टकराव को द्वितीय चीन-जापान युद्ध की शुरुआत का प्रतीक माना गया। इस घटना के बाद जापान की सेना ने उत्तरी चीन में अपनी सेना तैनात की और 1937 के आखिर तक बीजिंग और तियानजिन पर कब्जा कर लिया। अपने कब्जाए हुए शहर आजाद कराने के लिए चीन की सेना ने जापान पर आक्रमण किया, जिसके बाद दोनों देशों में जंग छिड़ गई। 9 अगस्त 1937 तक दोनों देशों में हुई झड़पों ने पूर्ण युद्ध का रूप ले लिया था।

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द्वितीय विश्व युद्ध 7 साल चला

1939 से 1945 तक दुनियाभर के देशों में संघर्ष हुआ, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध कहा जाता है। युद्ध में 2 गुट बने, जिसमें एक गुट में फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका, सोवियत संघ, और चीन और दूसरे गुट में जर्मनी, इटली, जापान थे। युद्ध में दोनों गुटों की ओर से करीब 50 देशों में हिस्सा लिया और 10 करोड़ से ज्यादा सैनिकों ने जंग लड़ी थी। द्वितीय विश्व युद्ध 1945 में खत्म हुआ था और इसमें चीन के नेतृत्व वाले देशों की जीत हुई थी। वहीं जापान ने आत्मसमर्पण किया था। द्वितीय विश्व युद्ध के कुछ अन्य कारण भी थे, जिनमें एक कारण एक संधि थी, जो प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मनी पर थोपी गई थी।

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इटली में मुसोलिनी के नेतृत्व में फासीवाद और जर्मनी में हिटलर के नेतृत्व में नाजीवाद का उदय भी युद्ध का कारण बना। अंतरराष्ट्रीय सहयोग और शांति के लिए बनाया गया राष्ट्र संघ भी युद्ध को रोकने में नाकामयाब रहा था। 1929 की महामंदी से दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं तबाह हो गई थीं, जिस वजह से राजनीतिक अस्थिरता और उग्रवाद को बढ़ावा मिला था। द्वितीय विश्व युद्ध का एक परिणाम अंतरराष्ट्रीय सहयोग और शांति को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन था। अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध भी विश्व युद्ध का नतीजा था। नाजी जर्मनी द्वारा यहूदियों का नरसंहार भी द्वितीय विश्व युद्ध के कारण हुआ था।

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क्या तीसरा विश्च युद्ध होगा?

फ्रांस के भविष्यवक्ता ‘माइकल दि नास्त्रेदमस’ और बुल्गारिया के बाबा वेंगा ने भविष्यवाणी की थी कि साल 2025 में दुनिया तीसरा विश्व युद्ध देखेगी। पिछले 3 साल से दुनिया के कई देश जंग के मैदान में खड़े हैं। इजरायल-हमास, यूक्रेस-रूस में जंग चल रही है। ईरान-इजरायल और भारत-पाकिस्तान में भी जंग छिड़ी थी, जो अब सीजफायर पर टिकी है। अगर इन चारों देशों में जंग छिड़ी तो परमाणु हथियार इस्तेमाल किए जाएंगे और भयंकर तबाही मचेगी। मानव जाति का विनाश हो सकता है, क्योंकि पहले और दूसरे विश्व युद्ध की तुलना में आज दुनियाभर के कई देश परमाणु हथियार बना चुके हैं। अकसर एक दूसरे को परमाणु हमले की धमकी देते रहते हैं। अगर जंग छिड़ी तो परमाणु हमला करने से वे पीछे भी नहीं हटेंगे।

हाल ही में जब ईरान और इजरायल की जंग छिड़ी तो दुनियाभर के देशों को तीसरा विश्व युद्ध छिड़ने का डर सताने लगा था, क्योंकि अमेरिका ने ईरान के खिलाफ इजरायल का समर्थन किया था। फ्रांस, ब्राजील, मैक्सिको, इंगलैंड, अजरबैजान, ब्रिटेन ने भी इजरायल का समर्थन किया था। ईरान के समर्थन में पाकिस्तान, चीन, नॉर्थ कोरिया, आर्मेनिया, बेलारूस, लेबनान, यमन आए। वहीं जंग की वजह ईरान का परमाणु प्रोग्राम है। अमेरिका नहीं चाहता कि ईरान परमाणु हथियार बनाए। अमेरिका ने ईरान के धमकी दी है कि अगर ईरान ने परमाणु हथियार बनाए तो वह हमला करेगा। ईरान भी अपनी जिद पर अड़ा है, ऐसे में अगर तीसरा विश्व युद्ध छिड़ा तो ईरान जिम्मेदार होगा।

First published on: Jul 07, 2025 01:59 PM

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