Explainer: 9/11 हमले के बाद वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर अमेरिका का डूम्सडे प्लेन E-4B को उतारा गया था जिसे एक बार फिर देखा गया है। 19 जून 2025 को देर रात वाशिंगटन डीसी के पास अमेरिका का डूम्सडे प्लेन E-4B देखा गया जिसके बाद से दुनियाभर में हलचल का माहौल है। ईरान-इजरायल जंग के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के डूम्सडे प्लेन E-4B का यूं नजर आना क्या एक जंग की ओर इशारा कर रहा है? या फिर इसके पीछे का मकसद कुछ और है? इसे लेकर दुनिया भर में हलचल मची हुई है। आखिर डूम्सडे प्लेन E-4B क्या है और रूस के डूम्सडे रेडियो से कितना अलग (Doomsday Plane E-4B vs Doomsday Radio) है? इसके अलावा कितना खतरनाक हो सकता है? इन सबके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं।
किस स्थिति में उतारा जाता है डूम्सडे प्लेन E-4B?
नाइटवॉच के अलावा डूम्सडे प्लेन E-4B को कयामत का संकेत भी कहा जाता है। अमेरिका की ओर से ये जेट आमतौर पर आपातकाल स्थिति के समय उतारा जाता है। परमाणु युद्ध या वैश्विक आपातकाल की स्थिति होने पर डूम्सडे प्लेन का यूज करते हैं।
क्या है डूम्सडे प्लेन E-4B?
नाइटवॉच के अलावा अमेरिका के इस डूम्सडे प्लेन को नेशनल एयरबोर्न ऑपरेशंस सेंटर भी कहते हैं। E-4B नाइटवॉच में एडवांस कम्युनिकेशन गीयर लगे हुए हैं। ये आसमान में उड़ता है और अगर इसका फ्यूल खत्म हो जाता है तो ये आसमान में रहते हुए भी खुद को रिफ्यूल कर सकता है। डूम्सडे प्लेन E-4B पर किसी तरह के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक हमले या परमाणु हमले का कोई असर नहीं हो पाता है।
अमेरिकी डूम्सडे प्लेन E-4B की खासियत?
हवा में रहने वाले अमेरिकी डूम्सडे प्लेन E-4B में 3 डेक हैं जिसमें आराम करने से लेकर मीटिंग के लिए रूम शामिल हैं। पहला ब्रीफिंग रूम है। जबकि, दूसरे और तीसरे रूम में एक रणनीतिक सम्मेलन और एक कम्युनिकेशन क्षेत्र है। इसमें 18 बंक है जिस पर आराम किया जा सकता है। अन्य खासियत की बात करें तो ये लगातार 35 घंटे से ज्यादा समय तक हवा में रह सकता है। इस दौरान जमीन पर भी न उतरे तो कोई चिंता नहीं है क्योंकि फ्यूल खत्म होने पर भी खुद को रिफ्यूल कर सकता है।
कब-कब रहा E-4B नाइटवॉच एक्टिव?
वाशिंगटन डीसी के पास डूम्सडे प्लेन E-4B को देखने से पहले 9/11 के बाद वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर अमेरिकी डूम्सडे प्लेन E-4B को देखा गया था। इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने डूम्सडे प्लेन E-4B का इस्तेमाल किया था। इसके अलावा 1995 में तूफान ओपल के समय संघीय आपातकालीन प्रबंधन एजेंसी (FEMA) टीम को इस जेट से लेकर गए थे।
11 सितंबर 2001 को आतंकी हमले के दौरान भी E-4B नाइटवॉच एक्टिव रहा था। इसके बाद से संवेदनशील स्थितियों में डूम्सडे प्लेन E-4B एक्टिव होता है। हालांकि, इस बार वाशिंगटन में डूम्सडे प्लेन E-4B के दिखने के पीछे की क्या वजह है, इसे लेकर कोई पुष्टि नहीं की गई है। क्या ये एक रेगलुर प्रैक्टिस थी या फिर अमेरिका तैयारी है कि अब वो ईरान के खिलाफ जंग में उतर चुका है।
रूस के Doomsday Radio से कितना अलग डूम्सडे प्लेन E-4B?
एक दूसरे के खिलाफ रहने वाले रूस और अमेरिका, अपने अलग-अलग विमान के लिए जाने जाते हैं। अमेरिकी ई-4बी जेट के सामने रूस का डूम्सडे रेडियो बहुत अलग है। यूबीवी-76 के नाम से जाने जाना वाला डूम्सडे रेडियो स्टेशन बहुत खतरनाक माना जाता है। इसे हैकर्स तक हैक नहीं कर सकते हैं। सैटेलाइट के संदेश को पहुंचाने के लिए रूस का डूम्सडे रेडियो काम आता है। इससे जो मैसेज भेजे जाते हैं उसे आम आदमी तो दूर की बात है बड़े से बड़े हैकर्स भी समझ नहीं पाते हैं। इसमें शब्द और नंबर्स शामिल होते हैं लेकिन वो किसी को समझ नहीं आ सकते हैं।
रूस इस डूम्सडे रेडियो का इस्तेमाल अपने खास लोगों को मैसेज भेजने के लिए करता है। जबकि, डूम्सडे प्लेन E-4B नाइटवॉच एक प्लेन जैसा है जो साइबर हमलों, परमाणु विस्फोटों, विद्युत चुम्बकीय प्रभावों को झेल सकता है। जवाबी में मिसाइल से हमला करता है। इसकी रेंज 7000 मील से ज्यादा है और प्रत्येक E-4B में अधिकतम 112 लोगों का दल हो सकता है।
डूम्सडे प्लेन E-4B से ज्यादा खतरनाक है डूम्सडे रेडियो स्टेशन?
रूस का डूम्सडे रेडियो स्टेशन अपने एडवांस टेक्नोलॉजी के कारण खतरनाक है। दुनिया भर में अलग तरह के शब्द और नंबर्स के साथ अपने लोगों तक कम्युनिकेशन के लिए बेस्ट माना जाता है। आपातकालीन स्थितियों में इसके जरिए कहीं भी संदेश भेजा जा सकता है। ये सिर्फ शब्द या नंबर्स के कोड के साथ नहीं बल्कि कोडेड वॉयस मैसेज के जरिए भी सुनने में सक्षम होता है। हालांकि, इस सैटेलाइट संदेश को कोई आम आदमी नहीं समझ सकता है। रूस का डूम्सडे रेडियो यूक्रेन के साथ युद्ध के समय देखा गया था।
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