एक अरबपति कारोबारी जो बाद में अमेरिका का राष्ट्रपति बना और एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय जिसने सैकड़ों नोबेल विजेताओं को तैयार किया इन दोनों के बीच टकराव की कहानी किसी फिल्मी ड्रामे से कम नहीं लगती। 25 साल पहले डोनाल्ड ट्रंप ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से 400 मिलियन डॉलर की मांग की थी लेकिन जब उनकी बात नहीं मानी गई तो वह गुस्से में बैठक छोड़कर चले गए। आज कई सालों बाद वही ट्रंप सत्ता में रहते हुए कोलंबिया को घुटनों पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। क्या यह सिर्फ संयोग है या पुरानी रंजिश का बदला?
ट्रंप और कोलंबिया यूनिवर्सिटी का पुराना विवाद
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के बीच विवाद कोई नया नहीं है। यह 25 साल पहले शुरू हुआ था जब ट्रंप ने विश्वविद्यालय से 400 मिलियन डॉलर की मांग की थी। जब उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो वह गुस्से में बैठक से बाहर चले गए और सार्वजनिक रूप से विश्वविद्यालय के तत्कालीन अध्यक्ष को “मूर्ख” और “बेकार” कहकर आलोचना की। यह विवाद एक प्रमुख रियल एस्टेट डील से जुड़ा था जिसमें ट्रंप चाहते थे कि कोलंबिया उनकी संपत्ति खरीदे। लेकिन यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने इस सुझाव को नहीं माना और फैसला किया कि वे अपने कैंपस को पास की जमीन पर बढ़ाएंगे।
Trump admin axes $400M in Columbia U funding over antisemitism claims, citing harassment of Jewish students since Oct ’23. Feds call it a first step, $5B more at risk. Columbia vows to fight back. pic.twitter.com/3mquQJQak9
— 𝐃𝐔𝐓𝐂𝐇 (@pr0ud_americans) March 8, 2025
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विश्वविद्यालय के फैसले से ट्रंप नाराज
अब कई सालों बाद, ट्रंप और कोलंबिया यूनिवर्सिटी फिर से आमने-सामने हैं। इस बार मुद्दा बोलने की आज़ादी, पढ़ाई की आज़ादी और यूनिवर्सिटी को मिलने वाली सरकारी फंडिंग से जुड़ा है। ट्रंप प्रशासन ने यूनिवर्सिटी से कहा कि वह अपनी नीतियों और पढ़ाई के तरीके को सरकार के हिसाब से बदले, खासकर कैंपस में बढ़ते यहूदी विरोधी प्रदर्शनों को रोकने के लिए। जब यूनिवर्सिटी ने ऐसा करने से मना कर दिया, तो ट्रंप प्रशासन ने कोलंबिया को मिलने वाले 400 मिलियन डॉलर की सरकारी मदद बंद कर दी।
कोलंबिया का झुकाव और विवाद
शुक्रवार को कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने ट्रंप प्रशासन की कुछ मांगों को स्वीकार कर लिया जिसमें प्रदर्शन नीतियों, सुरक्षा उपायों और मध्य पूर्व अध्ययन विभाग से जुड़े बदलाव शामिल हैं। इससे कुछ शिक्षकों और छात्रों में चिंता बढ़ गई कि विश्वविद्यालय ने आर्थिक सहायता पाने के लिए अपने मूल सिद्धांतों से समझौता कर लिया है। इस फैसले के खिलाफ कई शिक्षकों ने विरोध जताया क्योंकि उन्हें डर था कि सरकार अब विश्वविद्यालय के अकादमिक मामलों में भी हस्तक्षेप कर सकती है। हालांकि ट्रंप संगठन और व्हाइट हाउस ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
पुरानी डील की असफलता बनी वजह?
पहले जब ट्रंप ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी को अपनी जमीन बेचने की कोशिश की थी, तो उस समय के यूनिवर्सिटी अध्यक्ष ली सी. बोलिंगर ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। उनका कहना था कि वह कोलंबिया के लिए ऐसी योजना चाहते थे, जो आसपास के इलाकों से अच्छे से मेल खाए। इसलिए उन्होंने हार्लेम और मोर्निंगसाइड कैंपस के साथ मिलाकर यूनिवर्सिटी का विस्तार करने का फैसला किया, जिससे यूनिवर्सिटी को ज्यादा फायदा हुआ। अब सवाल यह है कि क्या ट्रंप ने पुरानी जमीन की डील में असफल होने की वजह से कोलंबिया के खिलाफ सख्त कदम उठाए?