11 अप्रैल को हार्वर्ड विश्वविद्यालय को ट्रंप प्रशासन की ओर से भेजा गया एक पत्र सुर्खियों में था। इस पत्र में कथित तौर पर यहूदी विरोधी गतिविधियों को लेकर व्हाइट हाउस की टास्क फोर्स ने लेटर जारी किया था। अब एक रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा इस लेटर को लेकर किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह लेटर अनाधिकृत था और जिसे नहीं भेजा जाना चाहिए था। द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार इस मामले से परिचित लोगों का हवाला दिया गया था। इस लेटर में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की नियुक्तियों, प्रवेश और शैक्षणिक पाठ्यक्रम को लेकर विस्तृत जानकारी मांगी गई थी। स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग के कार्यवाहक जनरल काउंसल सीन केवेनी ने ईमेल के जरिए इस लेटर को जारी किया था।
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केवेनी यहूदी विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए बनाई गई टास्क फोर्स के सदस्य हैं। हालांकि पत्र के अंदर जो बातें लिखी गई थीं, उनके प्रमाणिक होने की पुष्टि की गई थी। सूत्रों ने NYT को बताया कि ट्रंप प्रशासन के भीतर इस बात को लेकर भ्रम था कि इस लेटर को कैसे और क्यों भेजा गया? कुछ अधिकारियों का मानना था कि इसे समय से पहले प्रसारित किया गया था, जबकि अन्य का मानना था कि यह केवल टास्क फोर्स के सदस्यों के बीच आंतरिक चर्चा के लिए था।
What an absolute joke: Trump officials claimed the letter sent to Harvard with a list of demands was a “mistake” and had been sent without authorization.
---विज्ञापन---And because Harvard defended themselves, the White House announced they were freezing funding and Trump threatened to remove… pic.twitter.com/o5Yso2EGJt
— MeidasTouch (@MeidasTouch) April 19, 2025
ट्रंप की मांगें नहीं मानेगी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी
सूत्रों ने नाम न छापने का अनुरोध किया, क्योंकि उन्हें इस मामले पर सार्वजनिक रूप से बोलने का अधिकार नहीं है। पत्र की वजह से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और व्हाइट हाउस टास्क फोर्स के बीच चल रही बातचीत भी प्रभावित हुई। विश्वविद्यालय के अधिकारियों के अनुसार वे दो सप्ताह से टास्क फोर्स के साथ संपर्क कर रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि वे सार्वजनिक रूप से विवाद से बचेंगे। हालांकि पत्र सामने आने के बाद हार्वर्ड पर सख्ती बरतने को लेकर सबको पता लग गया। हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने सोमवार को ऐलान किया था कि वह ट्रंप प्रशासन की कई मांगों को खारिज करेगा।
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गौरतलब है कि पिछले दिनों ट्रंप प्रशासन ने यूनिवर्सिटी की 9 बिलियन डॉलर (लगभग 7684 करोड़ रुपये) की ग्रांट रोकने का ऐलान किया था। वहीं, शुक्रवार को भेजे गए लेटर में ट्रंप प्रशासन ने यूनिवर्सिटी को योग्यता के आधार पर भर्ती करने, प्रवेश देने, संकाय और नेतृत्व में ऑडिट समेत व्यापक बदलावों का आह्वान किया था। लेटर में फेस मास्क पर प्रतिबंध लगाने का भी आह्वान किया गया था। माना जा रहा है कि यह कदम फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों की पहचान के लिए था। इससे पहले प्रशासन पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय, ब्राउन विश्वविद्यालय और प्रिंसटन विश्वविद्यालय की ग्रांट भी रोक चुका है।