कनाडा में 45वी संसद के लिए 343 मेंबरों के लिए फेडरल गवर्नमेंट के लिए चुनाव हो गया है और नतीजे भी आने शुरू हो गए हैं। लिबरल पार्टी 162 सीटों से सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। कनाडा के चुनाव आयोग द्वारा कनाडा में पोलिंग स्टेशन बनाए गए थे, जो देर शाम तक 12 घंटे खुले रहे। बैलेट पेपर के जरिए वोटिंग हुई। संसदीय चुनाव में 60 से ज्यादा पंजाबियों सहित 1500 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। 343 सीटे हैं ओर पिछले 10 वर्षों से कनाडा में लिबरल पार्टी की ही सरकार रही है, जो इस बार भी बढ़त बनाए हुए हैं और पार्टी सरकार बनाती दिख रही है।
60 से ज्यादा पंजाबी उम्मीदवारों में से लिबरल के 16, न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के 10, ग्रीन पार्टी के 4, पीपल्स पार्टी ऑफ कनाडा के 8 और बाकी कंजर्वेटिव पार्टी के उम्मीदवार हैं। सबसे कड़ा मुकाबला ब्रैम्पटन, मिसिसॉगा, केलेडन, सरी, कैलगरी और एडमिंटन में देखने को मिल सकता है। आधिकारिक चुनाव परिणाम 30 अप्रैल या एक मई को आएंगे। वर्तमान प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और विपक्षी नेता पियरे पोलीवरे के बीच कांटे की टक्कर है। हालांकि चुनाव परिणामों के सर्वे में लिबरल पार्ट की जीत से उत्साहित होकर कनाडा मीडिया ने मार्क को देश का फ्यूचर प्रधानमंत्री घोषित कर दिया है।
मार्क पहले ही साफ कर चुके हैं कि वह भारत से अच्छे संबंधों के इच्छुक हैं, जबकि जस्टिन ट्रुडो के कार्यकाल में भारत कनाडा के संबंध इतिहास में सबसे खराब कहे रहे। चुनावी रण में लिबरल और कंजर्वेटिव के अलावा ब्लॉक क्यूबिक, NDP, ग्रीन पार्टी भी हैं।
मार्क कार्नी ने किया समय से पहले चुनाव कराने का ऐलान
चर्चा है कि लिबरल और NDP मिलकर सरकार बना सकते हैं। पहले भी दोनों मिलकर सरकार बना चुके हैं और एक बार फिर दोनों दलों के हाथ में सत्ता की चाबी आ सकती है। बता दें कि प्रधानमंत्री मार्क ने समय से पहले चुनाव कराए हैं। अक्टूबर 2025 में चुनाव होने थे, लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का विरोध करने के लिए मार्क ने मजबूत जनादेश की जरूरत का हवाला देते हुए अप्रैल में ही चुनाव कराने का ऐलान कर दिया।
कनाडा के नेशनल ब्रॉडकास्टर CBC के अनुसार, लिबरल पार्टी के नेता मार्क कार्नी हाल ही में कनाडा के प्रधानमंत्री बने। उनसे पहले जस्टिन ट्रूडो प्रधानमंत्री थे, जो साल 2015 में कनाडा के प्रधानमंत्री बने थे, लेकिन उनकी सरकार ने बहुमत खो दिया था, इसलिए उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा। मार्क प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने संसद को भंग करके समय से पहले आम चुनाव कराने का ऐलान कर दिया। सरकार बनाने के लिए 172 सीटों का बहुमत चाहिए।