UK News: ब्रिटेन में एक व्यक्ति ने 17 साल की उम्र में साइकिल चोरी की थी। लेकिन, करीब 17 साल बाद भी वह जेल में ही बंद है। उसके परिवार का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी तक नहीं है कि वह कहां किस जेल में है। वेन बेल नाम के इस शख्स को लूट के आरोप में जब जेल भेजा गया था तब वह 17 साल का था। अब उसकी उम्र 34 साल हो गई है लेकिन वह जेल से बाहर नहीं निकल पाया है। इस मामले को लेकर पता चला है कि ऐसा एक कानून की वजह से हुआ जिसे अब खत्म किया जा चुका है। आइए जानते हैं यह पूरा मामला क्या है।
नहीं पूरी हो पाई पिता की आखिरी हसरत
डेलीमेल की एक रिपोर्ट के अनुसार वेन की मां और बहन ने मैनचेस्टर ईवनिंग न्यूज को बताया कि उनका वेन से संपर्क टूट चुका है और उन्हें यह भी नहीं पता है कि इस समय वह किस जेल में है। वेन के पिता की अप्रैल 2020 में कैंसर से मौत हो गई थी। उनकी आखिरी इच्छा अपने बेटे से बात करने की थी लेकिन वह पूरी नहीं हो पाई। वेन की बहन अलाना बेल (33) ने कहा कि 2 साल से ज्यादा समय हो चुका है जब से हमने उसके बारे में कुछ नहीं सुना है। हमें यह भी नहीं पता कि वह जिंदा भी है या नहीं।
Wayne Bell robbed a bike in Ladybarn Park when he was 17. He’s now 34 and still behind bars, one of the most shocking examples of IPP sentences which left inmates like him to rot in jail with fading hopes of ever coming out.https://t.co/9qZRv1XOoR
— John Scheerhout (@johnscheerhout) July 18, 2024
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17 साल पहले चोरी की थी एक साइकिल!
बता दें कि करीब 17 साल पहले वेन बेल ने मैनचेस्टर में एक शख्स को मुक्का मारा था और उसकी साइकिल चुरा ली थी। उसे साल 2007 में एक नई तरह की सजा सुनाई गई थी। इस तरह की सजा पाने वाला वह पहले कुछ दोषियों में से एक था। साल 2005 में लाए गए पब्लिक प्रोटेक्शन सेंटेंसेज नाम की इस व्यवस्था के तहत सुनाई जाने वाली सजा को बाद में न्यायपूर्ण न होने की बात कहते हुए खत्म कर दिया गया था। इसके तहत जिन्हें सजा दी गई थी उन्हें न्यूनतम अवधि का कारावास देना तय किया गया।
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मिली थी 4 साल की जेल, बन गई उम्रकैद
लेकिन, सजा पूरी होने के बाद उन्हें पैरोल बोर्ड को यह भरोसा दिलाना पड़ा कि उन्हें वापस समाज में भेजना सुरक्षित रहेगा। हालांकि, ऐसा करने के लिए उन्हें रिहैबिलिटेशन कोर्सेज की जरूरत थी, जिसकी एक्सेस उन्हें नहीं दी गई। वेन बेल के मामले में ये हुआ कि उसे दोषी ठहराते हुए मैनचेस्टर क्राउन कोर्ट ने कहा कि उसे 4 साल जेल में रहना होगा। इसके बाद पैरोल बोर्ड इस बात पर विचार करेगा कि उसे रिहा किया जाना चाहिए या नहीं। लेकिन बोर्ड की सुनवाइयों में उसे कभी समाज के लिए सेफ नहीं माना गया।
परिवार वालों ने उठाई बेहद भावुक मांग
समय के साथ वेन ने अपने रिहा होने और घर वापस जा पाने की उम्मीद ही खो दी। साथी कैदियों के साथ उसके झगड़े होने लगे। ऐसी हर घटना के साथ बोर्ड की नजरों में उसकी छवि और कमजोर होती रही। वेन के परिवार वालों का कहना है कि एक साइकिल चोरी करना इतना बड़ा अपराध नहीं है कि उसे अपनी पूरी जिंदगी सलाखों के पीछे बितानी पड़ जाए। वेन के परिवार ने मांग की है कि उसके बारे में जानकारी दी जाए कि वह किस जेल में बंद है ताकि उन्हें यह तो पता चल सके कि वह जिंदा भी है या नहीं।
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