नीरव मोदी प्रत्यार्पण केस में एक नया मोड़ आया है. भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी ने लंदन में अपने भारत प्रत्यार्पण का मामला फिर से खोलने की मांग की है और इस बार उन्होंने भारत के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज दीपक वर्मा की राय का सहारा भी लिया है. नीरव मोदी ने ब्रिटेन की अदालत में नए सिरे से दलीलें पेश करते हुए दावा किया है कि अगर उन्हें भारत लाया गया तो वहां की न्यायिक व्यवस्था में उनके साथ न्यायपूर्ण ट्रायल नहीं होगा और उन्हें कई एजेंसियों की पूछताछ का सामना करना पड़ सकता है.
इस बार उनकी इस दलील का समर्थन सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज दीपक वर्मा की एक विशेषज्ञ राय में किया गया जिसमें कहा गया है कि भारत में नीरव मोदी को निष्पक्ष सुनवाई की गारंटी नहीं मिलेगी. अब सवाल है कि आखिर कौन है जस्टिस दीपक वर्मा?
दरअसल जस्टिस दीपक वर्मा देश के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रह चुके हैं. वो राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं. इससे पहले जस्टिस वर्मा ब्रिटेन में विजय मालिया से जुड़े एक केस में विशेषज्ञ गवाह बनकर भी अदालत में पेश हुए थे.
दिलचस्प बात यह है कि माल्या के केस में अंततः भारतीय बैंकों के पक्ष में फैसला हुआ था. नीरव मोदी केस में अपनी विशेषज्ञ राय देने के सवाल पर जस्टिस वर्मा ने प्रतिक्रिया देने से यह कहकर इंकार कर दिया कि वह चल रहे मामलों पर कोई टिप्पणी नहीं करते.
भारत सरकार ने ब्रिटेन की अदालत में स्पष्ट कहा है कि अगर नीरव मोदी को भारत लाया जाता है तो उसे केवल मुकदमे का सामना करना होगा. कोई और एजेंसी उससे पूछताछ या हिरासत में नहीं लेगी. भारत ने ब्रिटिश सरकार को लेटर ऑफ अशोरेंस भेजते हुए यह बात दोहराई है. जबकि भारत का रुख है कि नीरव मोदी के प्रत्यार्पण की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है.









