बीजेपी ने अपने एक वरिष्ठ नेता को पार्टी से बाहर कर दिया है। 55 साल के कृष्ण कुमार जानू 40 साल से अधिक समय से राजनीति में हैं और उन्होंने कई भूमिकाएं निभाई हैं। अधिकतर समय वह संघ के साथ रहे हैं। वह किसान, पत्रकार, जाट महासभा नेता, एबीवीपी और वीएचपी नेता, बीजेपी उम्मीदवार और पार्टी प्रवक्ता भी रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
8 अगस्त को पहली बार कृष्ण कुमार जानू तब चर्चाओं में आ गए, जब राजस्थान बीजेपी ने उन्हें छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के साथ पार्टी के व्यवहार को लेकर सवाल उठाया था और पार्टी पर निशाना साधा था। यह वीडियो खूब वायरल हुआ था। वीडियो में जानू पार्टी के जाट नेताओं की आलोचना करते हुए उनसे अपनी बात रखने की अपील करते नजर आ रहे हैं।
पार्टी से बाहर किए जाने के बाद अगर बीजेपी में जाट बोल नहीं सकते, तो उनके पार्टी में रहने का क्या मतलब है? अगर वे बोल ही नहीं सकते, तो वे समुदाय का क्या भला कर सकते हैं? मैंने बीजेपी के जाट नेताओं से सवाल पूछे थे, चाहे वे सांसद हों या विधायक, बीजेपी से नहीं। लेकिन मेरे निष्कासन का मतलब है कि पार्टी को गूंगे-बहरे लोगों की जरूरत है, न कि बोलने वालों की।