पूरी दुनिया में G-20 की कामयाबी की चर्चा हो रही है। इस ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन में ग्रुप में शामिल सभी देशों को मंत्रमुग्ध कर दिया है। इस शिखर सम्मेलन की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि इसमें सर्वसम्मति से शिखर के पहले दिन ही एक घोषणा-पत्र जारी हुआ।
किसी भी राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन की कामयाबी का आंकलन तभी होता है, जब उसके घोषणा-पत्र पर हर सदस्य की सहमति हो। इस घोषणा-पत्र में किसी भी तरह के ऐसे मुद्दों या तथ्यों को नहीं रखा गया था, जिससे सदस्य देशों को किसी भी तरह की आपत्ति हो। हालांकि, चीन की फितरत कुछ ऐसी ही उम्मीद से बंधी थी, लेकिन इस घोषणा-पत्र में रूस की आलोचना न किए जाने पर यूक्रेन ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
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G-20 समिट में घोषणा-पत्र में रुस-यूक्रेन मुद्दे पर रुस की आलोचना नहीं
बीते दिनों नई दिल्ली में G-20 शिखर सम्मेलन का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इसके घोषणा-पत्र में रूस-यूक्रेन युद्ध का ज़िक्र तो था, लेकिन उसमें कहीं भी रुस की आलोचना न किए जाने पर यूक्रेन ने नाराज़गी जताई है। यूक्रेन ने इस विषय पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि रूस-यूक्रेन मुद्दे पर दर्ज़ बयान में गर्व करने लायक कुछ भी नहीं। बता दें कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घोषणा-पत्र को ऐतिहासिक महत्व का बताया था। उन्होंने सदस्य देशों द्वारा सर्वसम्मति से पारित इस घोषणा-पत्र को उपलब्धि से जोड़कर देखा।
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रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस के विरुद्ध चर्चा की संभावनाएं जताई गई थीं
अंतरराष्ट्रीय G-20 शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना जताई जा रही थी। ऐसा कयास लगाया जा रहा था कि कहीं न कहीं रूस-यूक्रेन युद्ध पर रूस की चर्चा हो सकती है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीतियों के कारण इस मुद्दे पर रू0स की आलोचना से दूरी बना कर रखी गई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रूस-यूक्रेन मुद्दे पर रूस की कार्रवाई के तहत ज़मीन पर कब्जे के लिए आक्रमण और बल-प्रयोग पर अप्रत्यक्ष रूप में आलोचना तो की गई, लेकिन रूस का सीधे नाम लेने से बचा गया। इस घोषणा-पत्र पर यूक्रेन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यूक्रेन उन सहयोगी देशों के प्रति आभार प्रकट करता है, जिन्होंने घोषणा-पत्र के टेक्स्ट में शब्दों को शामिल करवाया, पर G-20 समिट में यूक्रेन पर रूस की आक्रामकता पर कुछ भी ऐसा नहीं किया गया, जिस पर गर्व किया जाए।