Honesty in drunkenness: नशा करना लोगों के व्यवहार और सोचने के तरीके को बदल सकता है। शराब पीने के बाद अक्सर देखा जाता है कि लोग खुलकर बातें करने लगते हैं और बिना किसी झिझक के अपनी फीलिंग्स व्यक्त करते हैं। इस वजह से कई बार ऐसा लगता है कि लोग नशे में ज्यादा ईमानदार हो जाते हैं, क्योंकि वे उन बातों को कह देते हैं, जिन्हें वे नार्मल स्थिति में छिपा सकते हैं। लेकिन क्या सच में ऐसा है? वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो, शराब हमारे दिमाग पर असर डालती है, जिससे हमारी सोचने और निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो जाती है।
शराब का असर दिमाग के उस हिस्से पर पड़ता है, जो हमें Restrained और सावधान रहने में मदद करता है। इस कारण लोग नशे में ज्यादा भावुक और बेपरवाह हो जाते हैं। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि वे हर समय सच बोल रहे होते हैं, बल्कि वे भ्रमित भी हो सकते हैं।
नशा का दिमाग पर असर
जब लोग शराब पीते हैं, तो उनका दिमाग सामान्य से धीमा काम करने लगता है। इससे उनकी सोचने-समझने की क्षमता पर असर पड़ता है। वे चीजों को उसी तरह से नहीं समझ पाते जैसे होश में समझते हैं। इसलिए, कई बार नशे में लोग बिना सोचे-समझे बोलने लगते हैं, जिससे उनके मन की बातें बाहर आ जाती हैं।
फीलिंग्स और सच्चाई
नशे में लोग ज्यादा खुलकर अपनी फीलिंग्स को व्यक्त करते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शराब उनके ऊपर से दबाव कम कर देती है, और वे अपने दिल की बात कहने में हिचकिचाते नहीं हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हर बात जो वे कह रहे हैं, वह पूरी तरह से सच होगी।
यह भी पढ़े: हाथों और पैरों के ये संकेत हो सकते हैं हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण
नशे में भ्रमित हो सकते हैं लोग
शराब के नशे में लोग कई बार खुद भी भ्रमित होते हैं। वे अपनी गलतफहमियों को सच मानकर बातें कहने लगते हैं। इसलिए यह जरूरी नहीं कि वे जो कुछ कह रहे हैं, वह उनकी असली सोच हो।
ईमानदारी की स्थिति
यह कहना कि लोग नशे में ज्यादा ईमानदार हो जाते हैं, हमेशा सही नहीं होता। कुछ लोग नशे में अपनी सच्ची फीलिंग्स व्यक्त कर सकते हैं, लेकिन कई बार यह भी होता है कि वे खुद ठीक से नहीं समझ पाते कि वे क्या कह रहे हैं।
क्या है वैज्ञानिक वजह
एक स्टडी के अनुसार, शराब पीने के बाद लोगों के सोचने और निर्णय लेने की क्षमता पर असर पड़ता है। Journal of Psychopharmacology में प्रकाशित एक रिसर्च में पाया गया कि नशे में लोग अपने दिमाग के प्रिफ्रंटल कॉर्टेक्स का कम उपयोग करते हैं, जो सोचने और Social restraint को कंट्रोल करता है। इससे उनकी झिझक कम हो जाती है और वे खुलकर बोलने लगते हैं। हालांकि, इस स्टडी में यह भी पाया गया कि शराब पीने से लोग भावनात्मक रूप से ज्यादा रिएक्शन देते हैं, जिससे उनकी बातें सच्ची लग सकती हैं, लेकिन यह हमेशा सच नहीं होती।