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Social Cause: नीति गोयल ने जरूरतमंद महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने‌ के लिए शुरू की ‘नारी नीति’ योजना

Social Cause: एक‌ महिला उद्यमी के तौर पर अपनी अलग पहचान बनाने वाली नीति गोयल ने कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान लाखों ज़रूरतमंद लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था कर उनकी मदद की थी। इसके लिए उन्होंने एक्टर सोनू सूद के साथ मिलकर ‘खाना चाहिए’ नामक अभियान शुरू किया था। इसके तहत ज़्यादा से […]

Edited By : Dilip Chaturvedi | Updated: Oct 27, 2022 00:25
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Social Cause: नीति गोयल ने जरूरतमंद महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने‌ के लिए शुरू की 'नारी नीति' योजना

Social Cause: एक‌ महिला उद्यमी के तौर पर अपनी अलग पहचान बनाने वाली नीति गोयल ने कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान लाखों ज़रूरतमंद लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था कर उनकी मदद की थी। इसके लिए उन्होंने एक्टर सोनू सूद के साथ मिलकर ‘खाना चाहिए’ नामक अभियान शुरू किया था। इसके तहत ज़्यादा से ज़्यादा ग़रीब, भूखे, बेघर और ज़रूरमंद लोगों तक भोजन पहुंचाने का इंतज़ाम किया गया था।

उल्लेखनीय है कि इस अभियान की शुरुआत महज़ 1200 लोगों तक भोजन पहुंचाने के प्रयास के माध्यम से हुई थी और अब तक इस अभियान के तहत कुल 80 लाख भोजन के पैकेट और 60 हज़ार बेघर लोगों को राशन किट बांटे जा चुके हैं। इस अभियान के तहत 32 अनाथालयों और 800 सेक्स वर्करों को भी गोद लिया गया था और उन्हें 50 हज़ार सैनिटरी पैकेट्स भी वितरित किये गये थे।

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जब ‘निसर्ग’ नामक तूफ़ान ने महाराष्ट्र के रायगड में हज़ारों लोगों की ज़िंदगियों को‌ मुश्क़िल में डाल दिया था ,तो ऐसे में एलबी ट्रस्ट ने साइक्लोन में तबाह हुए 1,000 घरों के पुनर्निर्माण में मदद भी की थी।

‘घर भेजो’ अभियान

नीति गोयल ने सोनू सूद के साथ मिलकर ‘घर भेजो’ अभियान की शुरुआत की थी जिसके तहत दोनों ने मिलकर डेढ़ लाख प्रवासी मज़दूरों को लॉकडाउन के दौरान सुरक्षित घर भेजने की व्यवस्था की थी। ऐसे प्रवासी मज़दूरों की मदद‌ के‌ लिए ठाणे, दहिसर और वाशी जैसे इलाकों में विशेष रूप से कैम्प लगाये गये थे जहां पर अपने घर पहुंचने के लिए सैंकड़ों मील पैदल चलनेवाले मज़दूरों के लिए भोजन, फल, बिस्किट, पानी और पैरों में पहने जानेवाले स्लिपर वितरित किये गये थे। इन शिविरों के ज़रिए पांच लाख से भी ज़्यादा मज़दूरों को सहायता की गयी थी।

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वाराणसी में पांच लाख राशन किट

लॉकडाउन के दौरान उनकी ओर से वाराणसी में भूखे परिवारों की मदद करने‌ के लिए पांच लाख राशन किट भी बांटे गये थे जिनमें कुम्भार, नाविक, बुनकर समाज के लोगों को इसका लाभ मिला था। उत्तर प्रदेश में लोगों को सहायता पहुंचाने के दौरान उन्हें मिर्ज़ापुर के पास जंगलों के बीच बसे नक्सली गांव के बारे में पता चला जहां पर असुरक्षित महसूस करने के चलते लड़कियां स्कूल जा पाने में असमर्थ थीं। ऐसे‌ में उन लड़कियों में 250 साइकिलों का वितरण किया गया ताकि वे स्कूल जा सकें और शिक्षित होकर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें.

अन्याय के खिलाफ महिलाओं को लड़ना सिखाया

इस नेक कार्य को अंजाम देने के दौरान नीति गोयल की मुलाक़ात उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में घरेलू हिंसा और प्रताड़ना का शिकार हुईं महिलाओं से भी हुई। ऐसे में नीति गोयल ने उन्हें आत्म-रक्षा की तकनीक में पारंगत किये जाने का प्रशिक्षण और बुनियादी तालीम देने की व्यवस्था की ताकि वे अपने अधिकारों को लेकर जागरुक हो सकें। इसके लिए उन्होंने शुरुआती तौर पर एक गांव में 25 महिलाओं की एक सेना तैयार की ताकि अन्याय होने की सूरत में वे सभी मिलकर एक-दूसरे का बचाव व एक-दूसरे की मदद कर सकें। जल्द ही यह मुहिम अन्य गांवों तक पहुंच गयी और सैकड़ों गांवों में हज़ारों ग्रामीण महिलाएं इस मुहिम का हिस्सा बन गयीं।

उत्तर प्रदेश के बाद गुजरात और मध्य प्रदेश

नीति गोयल ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक और अहम क़दम उठाते हुए महिलाओं को रोज़गार मुहैया कराने की भी पहल की और उनके लिए सिलाई केंद्रों की स्थापना की। इसके अलावा, सब्ज़ियां बेचने के लिए महिलाओं को ठेले भी मुहैया कराए गये और पापड़, दीये बनाने और बेचने की व्यवस्था भी गयी। उत्तर प्रदेश की 1800 महिलाओं की‌ मदद करने‌ के बाद नीति गोयल ने इस अभियान को अब गुजरात और मध्य प्रदेश में भी विस्तार देने की योजना बनाई है।

‘नारी नीति’ अभियान

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की ख़ातिर जल्द ‘नारी नीति’ नामक अभियान की शुरुआत करने का फ़ैसला किया गया, जो अब कुछ राज्यों तक सीमित नहीं रहेगी और अब इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा. ऐसा तभी संभव है जब ‘नारी नीति’ में आम लोगों की भागीदारी हो और इस तरह से वे आत्मनिर्भर भारत में अपना अमूल्य योगदान दें।

महिलाएं सशक्त हैं

एक महिला उद्यमी के तौर पर‌ अपनी एक अलग पहचान बनाने वाली नीति गोयल का मानना है कि “महिला अपने आप में संपूर्ण होती है जिसमें कुछ बनाने, उसका पालन-पोषण करने और उसे बदलने की शक्ति समाहित होती है।” वे कहती हैं, “महिलाओं को सशक्तिकरण की आवश्यकता नहीं है, वे पहले से ही सशक्त हैं। उनके अंदर एक ऐसी आंतरिक शक्ति होती है जिसके चलते वे सभी तरह के कार्यों को अंजाम देने में सक्षम होती हैं। ऐसे में उन्हें महज़ सही अवसर प्रदान करने‌ की ज़रूरत होती है जिससे अक्सर वे वंचित रह जाती हैं। ऐसा इसीलिए क्योंकि घरों में लड़कियों को बचपन से सिखाया जाता है कि लड़कियों को बाहर जाकर काम करने‌ की बजाय घर में ही रहना और घर संभालना होता है! ग्रामीण इलाकों में यह चलन अधिक है। मगर उन महिलाओं का क्या जिनके पति शराबी होते हैं और अन्य तरह का नशा करते हैं, वे ठीक से कोई काम नहीं करते हैं और ऐसे में ना तो घर ही ठीक चल पाता है और ना ही उनके बच्चे स्कूल में पढ़ पाते हैं? ऐसी महिलाओं‌ की मदद की ख़ातिर ‘नारी नीति’ योजना शुरू की गयी है ताकि महिलाओं के लिए तमाम तरह के अवसर पैदा किये जा सकें। ”

नीति गोयल बताती हैं, “फिलहाल हम एक लाख महिलाओं की ज़िंदगी को बदलने के लिए प्रयासरत हैं और अगर एक महिला के जीवन में भी बदलाव आता है, तो इससे पूरे परिवार को बदलने में मदद मिलती हैं। परिवार के केंद्र में रहनेवाली एक महिला के जीवन में बदलाव लाने का मतलब है कि उसके इर्द-गिर्द कम से कम 5 लोगों की ज़िंदगियों में बदलाव लाना है।”

कहानी मध्य प्रदेश के एक महिला की…

वे आगे कहती हैं, “मध्य प्रदेश में एक महिला रहती है, जिसके 5 बच्चे हैं। उसका पति शराबी था और वो बात-बात में अपनी पत्नी पर हाथ उठाता था। ऐसे में पत्नी को कई तरह की पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ता था। ना बच्चों को ठीक से खाना खाने को मिलता था और ना ही वो‌ स्कूल जाकर पढ़ ही पाते थे। ऐसे में वो महिला साइकिल रिक्शा से हासिल होने वाली कमाई से घर चलाया करती थी। एक दिन उसकी रिक्शा ख़राब हो गयी, तो वह गहरे अवसाद में चली गयी। ऐसे में हमारी ओर से किसी ने उनसे संपर्क किया और फिर हमने उन्हें एक नयी ई-रिक्शा देने का फ़ैसला किया। किसी भी ई-रिक्शा की क़ीमत 6 ज़िंदगियों से बड़ी तो नहीं हो सकती है। अब इस ई-रिक्शा के सहारे वह अपने पांचों बच्चों की देखभाल करने में पूरी तरह से सक्षम है अपने परिवार के साथ सम्मान के साथ जीवन व्यतीत कर रही है। यह कहानी जीवटता और किसी भी सूरत में हिम्मत ना हारने की अदम्य कहानी है। हमें किसी भी हाल में कभी भी उम्मीद नहीं खोनी चाहिए और मुश्क़िलों का डटकर सामना करना चाहिए, क्योंकि हममें से कोई नहीं जानता है कि भगवान ने हमारे लिए आगे के लिए क्या कुछ सोचकर रखा है। ”

ज़रूरतमंद महिलाओं के लिए ‘नारी नीति’ अभियान

नीति गोयल आगे बताती हैं, “हमने ‘नारी नीति’ अभियान के तहत ग़रीबी रेखा के नीचे अपना जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर ग्रामीण महिलाओं के लिए एक अनूठी योजना की शुरुआत की है। यह योजना देश के ऐसे ग्रामीण भागों में शुरू की गयी है जहां पर रोज़गार के अवसर बेहद कम हैं और वहां पर औद्योगीकरण का नामो-निशान तक नहीं है। इस योजना के तहत ऐसी ग़रीब व विधवा महिलाओं को गायों का वितरण किया जा रहा है जिनके पास कमाने का कोई ज़रिया नहीं हैं और वे दूध, घी और गाय का गोबर बेचकर अपनी जीवनचर्या चला सकती हैं। हम इस परियोजना के पहले चरण में 500 गायों का वितरण करेंगे। इसके लिए हम कड़ी चयन प्रक्रिया का अनुपालन करेंगे ताकि ज़रूरतमंद महिलाओं को ही इस योजना का लाभ प्राप्त हो।

नीति गोयल का ताल्लुक चंडीगढ़ से है और वो एक जाने-माने उद्योगपति दिवंगत एस. के. गुप्ता की बेटी हैं। वो ख़ुद एक कामयाब बिज़नेसवूमन हैं, जिनका मुम्बई में रेस्तरां का कारोबार हैं। उन्हें पैरिस स्थित एफिल टावर में हुए एक समारोह में ‘रेस्टोरेंट ऑफ़ द ईयर 2019’ नामक पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

ग़ौरतलब है कि जब भी एक औरत अपने अधिकारों के लिए उठ खड़ी होती है, तो वह जाने-अनजाने में समाज की हरेक महिला के हक़ के लिए खड़ी होती है और ऐसा कर वह नारी सशक्तिकरण से जुड़े अभियान में एक अहम भूमिका निभाती है।

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Edited By

Dilip Chaturvedi

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Dilip Chaturvedi

First published on: Oct 24, 2022 11:50 PM

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