पश्चिम बंगाल आसनसोल के मोहिशीला कॉलोनी इलाके के रहने वाले मूर्तिकार सुशांत राय इन दिनों खूब चर्चे में हैं। चर्चे में इसलिए कि उन्होंने अंतरिक्ष में 9 महीने से अधिक समय बिताने वाली महिला अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की मूर्ति बनाई है, जो पश्चिम बंगाल ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों से लेकर विदेशों तक खूब चर्चे में है। सुशांत राय की अगर माने तो उनको महिला अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की मूर्ति बनाने का आइडिया तब आया, जब उनको यह पता चला की सुनीता विलियम्स 9 महीने के अधिक समय से अंतरिक्ष यात्रा पर हैं। एक महिला होने के नाते वो भी अंतरिक्ष मे इतने ज्यादा समय तक रहना बहोत बड़ी बात है। बता दें कि मूर्ति का दीदार करने राज्य के कानून मंत्री से लेकर जिला शासक सहित कई कई लोग पहुंचे।
अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की मोम से बनाई मूर्ति
मूर्तिकार सुशांत की अगर माने तो अगर किसी इंसान को एक कमरे मे एक दिन बंद करके रख दिया जाए तो उस इंसान की क्या हालत होती है। यह हम बहुत ही अच्छे तरीके से जानते हैं। ऐसे में एक महिला होने के नाते वह अंतरिक्ष मे रहीं और सकुशल वापस धर्ती पर पहुँची। यह महिला सशक्तिकरण को दर्शाता है और हर उस महिला को यह प्रेरणा देने का काम करता है, जो महिला अपने जीवन में कुछ करना चाहती हैं।
मूर्ति को बनाने में लगे 2 महीने
बता दें कि इसके अलावा सुनीता विलियम्स छात्रों के लिए एक आदर्श हैं। खासकर उन छात्रों के लिए जो विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण में गहरी रुचि रखते हैं। काम के प्रति उनके समर्पण ने कई युवा दिमागों को प्रेरित किया है। सुशांत ने कहा उनको सुनीता विलियम्स की मूर्ति बनाने मे करीब ढाई लाख रूपए खर्च हुए। साथ ही अगर मूर्ति बनाने में लगने वाले अगर हम समय की बात करें तो उसमे करीब दो महीने लग गए।
मूर्तिकार सुशांत राय ने क्या कहा?
सुशांत ने कहा कि सुनीता विलियम्स की पोशाक जब पहनाने का समय आया, तब वह चाहते थे की वह मूर्ति को वही पोशाक पहनाए जो पोशाक सुनीता ने अंतरिक्ष यात्रा के समय पहने थे और अंतरिक्ष से वापस लौटने के बाद भी उनको उस पोशाक मे देखा गया। सुशांत ने उस पोशाक को बनवाने का बहोत कोशिश किया पर वह असफल रहे। जिसके बाद उन्होंने अपने एक मित्र से सम्पर्क किया। उनके मित्र का जयपुर में वॉक्स म्यूजियम है और वह अमेरिका में ही ज्यादा तर रहते हैं। सुशांत की किस्मत अच्छी थी, जब उन्होंने अपने मित्र से सम्पर्क साधा तो वह उस समय अमेरिका मे ही थे।
ढाई लाख की आई लागत
बता दें कि सुशांत ने पूरी बात अपने मित्र को बताई जिसके बाद उनके मित्र ने उस पोशाक की तरह दिखने वाली दूसरी पोशाक करीब दस हजार रुपए में खरीदी और उस पोशाक को सुशांत तक पहुँचने मे करीब दस हजार रुपए खर्च हुए। कुल मिलाकर बीस हजार में सुनीता का पोशाक भी मिल गया और सुशांत की पूरी मेहनत सफल हो गई। मूर्ति को तैयार करने में करीब ढाई लाख की लागत आई।
कई महापुरुषों की बना चुके हैं मूर्तियां
सुशांत पेशे से एक मूर्तिकार हैं उन्होंने कई नेता अभिनेता सहित कई महापुरुषों की मूर्तियां बनाई हैं। उनका यह मानना है कि सुनीता विलियम्स की मूर्ति बनाने में उनको एक अलग सा अनुभव तो प्राप्त हुआ ही साथ में उनको यह गर्व भी हो रहा। उन्होंने पूरे विश्व की एक ऐसी महान महिला की मूर्ति तैयार किया है, जो महिला पूरे महिला समाज के लिये प्रेरणा है। सुनीता विलियम्स की कुछ खासियतों की अगर हम बात करें तो सुनीता विलियम्स विश्व की सबसे प्रसिद्ध अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं।
कौन हैं सुनीता विलियम्स?
बता दें कि सुनीता लिन विलियम्स का जन्म 19 सितम्बर 1965 को ओहियो, अमेरिका में हुआ था। उनका जन्म भारतीय पिता और स्लोवेनियाई मां से हुआ था। उन्होंने अमेरिकी नौसेना विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान में डिग्री हासिल की और फिर इंजीनियरिंग प्रबंधन में मास्टर डिग्री भी हासिल की। अंतरिक्ष में सबसे लंबे समय तक चलने का रिकॉर्ड सुनीता विलियम्स के नाम है। उन्होंने अनेक मिशनों के तहत अंतरिक्ष में 300 से अधिक दिन बिताए हैं। अभियान 33 के दौरान उन्हें आई.एस.एस. का कमांडर भी नियुक्त किया गया था। उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार जैसे विभिन्न पदक भी प्राप्त हैं। सुनीता विलियम्स दुनिया भर के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक आदर्श हैं। उनकी यात्रा युवा मस्तिष्कों को अपने सपनों का अनुसरण करने और दृढ़ संकल्प के साथ काम करने के लिए प्रेरित करती है।