Gyanvapi Case: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में मिले ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग की मांग को वाराणसी जिला कोर्ट ने ठुकरा दिया है। इसे हिंदू पक्ष के लिए झटका माना जा रहा है। जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया। मुख्य प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने भी मस्जिद में स्थित कथित शिवलिंग की जांच कराने का विरोध किया था।
Gyanvapi Mosque issue: Varanasi Court rejects Hindu side's demand seeking carbon dating and scientific investigation of 'Shivling' in the mosque complex#UttarPradesh pic.twitter.com/UdFFgZz3Bj
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) October 14, 2022
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हिन्दू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने कहा कि हमारी कार्बन डेटिंग की मांग को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि शिवलिंग के साथ कोई छेड़छाड़ ना हो, अभी इसकी आवश्यकता नहीं है। हम उच्च न्यायालय में भी अपनी बात रखेंगे क्योंकि विज्ञान की कसौटी पर जीवन जिया जा सकता है।
बता दें कि वाराणसी जिला कोर्ट ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को न मानते हुए श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी केस को सुनवाई योग्य माना था। सुनवाई के बीच हिंदू पक्ष की 4 महिलाओं ने कार्बन डेटिंग कराने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी, हालांकि श्रृंगार गौरी में पूजा की अनुमति को लेकर दायर केस पर सुनवाई जारी रहेगी।
29 सितंबर को की गई थी मांग
हिंदू पक्ष ने 29 सितंबर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा ‘शिवलिंग’ की वैज्ञानिक जांच के साथ-साथ ‘अर्घा’ और उसके आसपास के क्षेत्र की कार्बन डेटिंग की मांग की थी। बता दें कि कार्बन डेटिंग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जो किसी पुरातात्विक वस्तु या पुरातात्विक खोजों की आयु का पता लगाती है।
कार्बन डेटिंग क्या होती है?
कार्बन डेटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे लकड़ी, चारकोल, पुरातात्विक खोज, हड्डी, चमड़े, बाल और खून का अवशेष कितना पुराना है, इसका पता लगाया जा सकता है, हालांकि इससे अनुमानित उम्र ही पता चलती है। बता दें कि पत्थर और धातु की डेटिंग नहीं की जा सकती, हां अगर पत्थर में किसी प्रकार का कार्बनिक पदार्थ मिलता है तो उससे एक अनुमानित उम्र का पता किया जा सकता है।
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