राहुल प्रकाश, उत्तरकाशी
Uttarakhand Tunnel Rescue Operation Challanges: 12 नवबंर को टनल धंसने के बाद शुरू हुए रेस्क्यू ऑपरेशन को 15 दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक इसमें सफलता नहीं मिल पाई है। 41 जानें फंसी हैं। किसी भी वक्त बड़ा हादसा होने का खतरा है। अंदर मजदूरों की सांसें अटकी हैं। बाहर पूरे देश की उम्मीदें बचाव दलों पर टिकी हैं। उम्मीद जताई जा रही थी कि कुछ ही दिनों में मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा, लेकिन 15 दिन बीत जाने के बाद भी बचाव दलों को कामयाबी नहीं मिली है। होरिजेंटल ऑगरिंग अब तक विफल रही तो रविवार को आर्मी ने मोर्चा संभाला और वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू की गई, लेकिन जानकारों का मानना है कि वर्टिकल ड्रिलिंग का काम भी चुनौतियों भरा है…
Uttarkashi (Uttarakhand) | Silkyara tunnel rescue: Vertical drilling of 19.2 metres done on first day.
---विज्ञापन---Rescuers have to drill down 86 metres from above to reach the trapped workers. pic.twitter.com/mrvRNME8ZF
— JAMMU LINKS NEWS (@JAMMULINKS) November 26, 2023
- कई टन वजनी मशीन को उस ऊंचाई तक पहुंचाना मुश्किल है।
- मशीन ऊपर पहुंच भी जाए तो भी ड्रिलिंग एक लंबी प्रक्रिया है।
- ड्रिल के लिए लाई गई मशीन को आज तक जमीनी ड्रिलिंग में इस्तेमाल नहीं किया गया है।
- ड्रिलिंग से पहले मशीन को तैयार करने में करीब 2 घंटे का वक्त लगता है।
- ड्रिल की रफ्तार वहां मिलने वाली मिट्टी और चट्टान पर निर्भर है।
- जितनी सख्त जमीन मिलेगी, उतना ज्यादा समय ड्रिलिंग में लगेगा।
- अब तक बचावकर्मी सुरंग के मुहाने से हो रही ड्रिलिंग के भरोसे थे
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पूरा बचाव कार्य ही चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि…
जहां रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है, वहां जमीन कहीं दलदल वाली है, कहीं ठोस है, कहीं मजबूत चट्टानें हैं, इस वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन मुश्किल होता जा रहा है। मशीनों का इस सुरंग में एंट्री बेहद मुश्किल से मिल रही है। कई मशीनें टूट चुकी हैं। ड्रिलिंग की कोशिशें बेकार हो रही हैं। इसमें कोई शक नहीं कि हादसा भयानक है, लेकिन राहत की बात यह भी है कि टनल के अंदर सभी मजदूर सुरक्षित हैं और बाहर मौजूद लोगों से उनका संपर्क बना हुआ है, लेकिन हर बीतते दिन के साथ चिंता बढ़ रही है और जब तक सभी 41 मजदूर सुरक्षित टनल से बाहर नहीं निकाल लिए जाते हैं, तब तक पूरे देश की सांसें और धड़कनें सामान्य नहीं हो पाएंगी।