Uttarakhand Tunnel Rescue Operation Back Up Plan: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिल्कयारा मशीन में चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन आखिर कब तक चलेगा, यह अभी क्लीयर नहीं है, लेकिन सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को जरूर निकाला जाएगा। यह दावा करते हुए विशेषज्ञों ने वे 6 बैकअप प्लान बताए, जो मजदूरों को निकालने के लिए पहले से तैयार हैं। अभी प्लान-बी पर काम चल रहा है, अगर यह कामयाब नहीं हुआ तो बाकी के 5 प्लान पर काम करने की तैयारी भी है। वहीं इनमें कौन-सा बेस्ट रहेगा, यह भी एक्सपर्ट बता रहे हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (रिटायर्ड) ने बताया कि पिछले 15 दिनों से चल रहे बचाव अभियान में अब भारतीय सेना भी शामिल हो गई है।
वहीं अब तक के ताजा अपडेट के अनुसार, अमेरिका से मंगाई गई ऑगर मशीन बार-बार खराब हो रही है। वहीं प्लान-ए को ड्रॉप करके पहले प्लान-बी पर काम करते हुए वर्टिकल ड्रिलिंग की जा रही है। सतलुज जल विद्युत निगम द्वारा ड्रिलिंग की जा रही है। अगले 2-3 दिन में गुजरात और ओडिशा से 2 और मशीनें आने की उम्मीद है। सुरंग में फंसे सभी 41 मजदूर स्वास्थ हैं। उन्हें खाना और दवाइयां मिल रही हैं। उनसे लगातार संपर्क किया जा रहा है। सभी सुरक्षा एजेंसियां मिलकर बचाव के तरीके तलाशे जा रहे हैं। क्योंकि सुरंग में पहले ही ऊपर से काफी मलबा गिरा हुआ है, ऐसे में बचाव अभियान में जुटी टीमें कोई ऐसा रिस्क नहीं लेना चाहतीं कि मजदूरों की जान को खतरा पैदा हो जाए। अभी प्लान-बी पर काम चल रहा है, आइए बाकी के 5 प्लान के बारे में भी बात करते हैं…
#WATCH | Uttarkashi (Uttarakhand) tunnel rescue | Vertical drilling underway at the site of the rescue of 41 workers. pic.twitter.com/DQTFHDtIIq
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) November 26, 2023
मैनुअल ड्रिलिंग
जनरल सैयद अता हसनैन ने बताया कि मैन्युअल ड्रिलिंग करनी चाहिए। यह सबसे अच्छा ऑप्शन रहेगा। ऑगर मशीन काम नहीं करेगी तो उसे सुरंग से निकालकर मैन्युअल खुदाई की जाएगी। यह एक सफल-सुरक्षित उपाय होगा, लेकिन इसमें करीब 14 से 15 घंटे लगेंगे। ऑगर मशीन सुरंग के अंदर 47 मीटर तक ड्रिल कर चुकी है। इसके बाद 15 मीटर तक मैनुअल खुदाई की जाएगी।
दोनों साइड से ड्रिलिंग
मजदूरों को सुरंग से निकालने का एक तरीका दोनों तरफ से ड्रिलिंग भी हो सकता है, लेकिन अभी इस पर काम करने के लिए जरूरी उपकरण मौके पर नहीं पहुंचे हैं। रेल विकास निगम लिमिटेड को सुरंग के एंट्री गेट की ओर से 280 मीटर की दूरी पर माइक्रो-ड्रिलिंग करने की जिम्मेदारी दी गई है। इस ऑपरेशन के लिए नासिक और दिल्ली से मशीनरी भेजी गई है। अगर पहले वाले 2 प्लान फेल हुए तो इस पर काम किया जाएगा।
#WATCH टनकपुर, चंपावत: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तरकाशी सुरंग बचाव अभियान पर कहा, “हैदराबाद से जो प्लाज़्मा मशीन लाई गई है, उसने काम करना शुरू कर दिया है। कटाई तेजी से चल रही है। अब कुल 14 मीटर की दूरी शेष बची हुई है जो अगले कुछ घंटों में पूरी कर ली जाएगी।… pic.twitter.com/ifwvWGHNQJ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 26, 2023
बारकोट की ओर से ड्रिलिंग
अभी सिल्क्यारा तरफ से ड्रिलिंग की जा रही है। बारकोट की तरफ से ड्रिलिंग करना भी एक ऑप्शन हो सकता है। इसके लिए BRO द्वारा 5 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई जा रही है। टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन द्वारा सुरंग के बारकोट छोर से 483 मीटर लंबी और संकरी सुरंग बनाई जाएगी।
बारकोट की तरफ ब्लास्टिंग
रविवार सुबह सुरंग में बारकोट की तरफ से ब्लास्टिंग की गई थी, जिससे 10-12 मीटर का एरिया साफ हो गया। यह एक प्रयोग था, अगर कुछ और नहीं हुआ तो इस तरीके से भी मजदूरों तक पहुंचा जा सकता है।
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ड्रिफ्ट टेक्नोलॉजी
सुरंग के दोनों तरफ के किनारों को दोनों तरफ से बराबर कुरेद कर मजदूरों तक पहुंचा जाएगा। सेना के इंजीनियर इस काम को करेंगे।
बचाव कार्य चुनौतीपूर्ण क्यों है?
जहां रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है, वहां जमीन कहीं दलदल वाली है, कहीं ठोस है, कहीं मजबूत चट्टानें हैं, इस वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन मुश्किल होता जा रहा है। मशीनों का इस सुरंग में एंट्री बेहद मुश्किल से मिल रही है। कई मशीनें टूट चुकी हैं। ड्रिलिंग की कोशिशें बेकार हो रही हैं।