UP News: उत्तर प्रदेश में रहने वाले लोगों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण निदेशालय (डीएमईटी) से लाइसेंस मिलने के बाद लखनऊ की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) पहला हृदय प्रत्यारोपण (Heart Transplant) करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए मरीजों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अब यूनिवर्सिटी को शव दान करने वालों का इंतजार है। बता दें कि संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (SJPGI) के बाद केजीएमयू हृदय प्रत्यारोपण सेवाएं शुरू करने का लाइसेंस पाने वाला राज्य का दूसरा सार्वजनिक संस्थान बन गया है।
पांच साल के लिए मिला लाइसेंस
केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) प्रोफेसर बिपिन पुरी ने कहा कि (डीएमईटी) ने हृदय शल्य चिकित्सा विभाग में मौजूदा कर्मचारियों और सुविधाओं की समीक्षा के बाद विश्वविद्यालय को पांच साल के लिए हृदय प्रत्यारोपण करने का लाइसेंस दिया। उन्होंने कहा कि पांच साल बाद समीक्षा के बाद फिर से अनुमति का नवीनीकरण किया जाएगा।
केजीएमयू में प्रत्यारोपण पर लगभग 1 से 2 लाख रुपये का खर्च आएगा, जो किसी भी निजी अस्पतालों की तुलना में काफी कम है। निजी अस्पतालों में यह खर्चा 10-15 लाख रुपये या उससे ज्यादा का होता है।
अंतिम इलाज है हार्ट ट्रांसप्लांट
विवि के कार्डियक सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो. एसके सिंह ने बताया कि हार्ट ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया ओपन हार्ट सर्जरी के समान है। यह सर्जरी यहां लंबे समय से की जा रही हैं। हमारे पास प्रत्यारोपण करने के लिए विशेषज्ञ, प्रशिक्षित लोग और उपकरण सहित सभी सुविधाएं हैं।
प्रो. एसके सिंह ने बताया कि हृदय की विफलता (काम करना बंद करना) एक गंभीर स्थिति है। इसमें हृदय की मांसपेशियां शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में रक्त पंप नहीं कर पाती हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि हृदय प्रत्यारोपण तब किया जाता है जब अन्य सभी उपचार काम नहीं करते हैं।
मरीजों का बनाया जा रहा है रिकॉर्ड
उन्होंने कहा कि हमारे पास पहले से ही ऐसे मरीज हैं, जिन्हें इसकी आवश्यकता होती है। हम रजिस्ट्रेशन में ब्लड ग्रुप और मरीजों के दिल के आकार का रिकॉर्ड रख रहे हैं। जैसे ही कोई डोनर उपलब्ध होगा, वैसे ही हम इन दोनों चीजों के मिलान के लिए एक परीक्षण करेंगे। अगर सब कुछ ठीक रहा तो चार घंटे में हृदय ट्रांसप्लांट किया जाएगा।