उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दो जिलों के बीच ट्रैफिक से राहत देने के लिए नया एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट लेकर आई है। प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रोथ में एक बड़ा और अहम कदम माना जा रहा है। ग्रेटर नोएडा और नोएडा के बीच ट्रैफिक में सुधार के लिए योगी सरकार एक न्यू एक्सप्रेसवे बना रही है। इस हाइवे का कंस्ट्रक्शन यमुना पुश्ता के समान होगा। नोएडा अथॉरिटी ने यह प्रस्ताव राज्य सरकार और चीफ सेक्रेटरी मनोज सिंह को सौंपा है, जिन्होंने पहले ही प्रोजेक्ट्स को लेकर सारी डिटेल की जांच की है। कैबिनेट की मंजूरी से पहले यह तय होगा कि निर्माण की देखरेख कौन करेगा- नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया या उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA)। यह फैसला शासन स्तर पर डिस्कशन के बाद लिया जाएगा।
कितना खर्च होगा?
यह एक्सप्रेसवे 4,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च होगा। फिलहाल, नो-ऑब्जेक्शन लेटर लेने का प्रोसेस स्टार्ट हो गया है।
8 लेन की सड़क बनाना
इस योजना का मकसद 6 लेन वाली एलिवेटेड रोड पर 8 लेन वाली बनाना है। मौजूदा नोएडा एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक को नया एक्सप्रेसवे कम करना चाहता है, जो नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के उद्घाटन से बढ़ेगा।
नए हाइवे से किन्हें फायदा?
यह एक्सप्रेसवे सेक्टर-94 में आखिरी रेजिडेंस गोल चक्कर से शुरू होकर 29 किमी लंबा होगा। दिल्ली और हरियाणा से आने वाले ट्रैफिक को डारेक्ट कालिंदी कुंज से जोड़ेगा। DND और चिल्ला बॉर्डर से आने वाले ट्रैफिक को महामाया फ्लाईओवर से भी जुड़ेगा। इस रास्ते पर 2 इंटरचेंज होंगे। एक Sector 168 छपरौली के पास होगा, जो Faridabad-Noida-Ghaziabad एक्सप्रेसवे से जोड़ेगा। इससे गाजियाबाद और नोएडा (SEC-63) समेत कई एरियों में सुधार होगा। वहीं, दूसरा सेक्टर 150 में रोड बनेगी, जिसमें FNG भी शामिल है। इससे यात्रियों को राहत मिलने के साथ-साथ ट्रेवल टाइम में काफी कमी आने की उम्मीद है।
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