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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

Maha Kumbh 2025 बना सनातन गर्व का महापर्व, दुनिया को दी क्राउड मैनेजमेंट की सीख

Maha Kumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ 26 फरवरी को समाप्त हो गया। लेकिन, इतिहास में दर्ज होने वाले कई यादों को छोड़ गया है। महाकुंभ में इस बार 66 करोड़ से ज्यादा लोगों ने पवित्र संगम में डुबकी लगाई। इसके साथ ही इस बार के महाकुंभ में कई वर्ल्ड रिकॉर्ड भी दर्ज हुए हैं।

Author Edited By : Satyadev Kumar Updated: Mar 7, 2025 16:03
maha kumbh 2025 prayagraj travel diaries live experience
Maha kumbh 2025. (File Photo)

Maha Kumbh 2025: प्रयागराज में 45 दिनों तक आयोजित हुए विश्व के सबसे बड़े धार्मिक एवं आध्यात्मिक समागम- महाकुंभ का महाशिवरात्रि के अवसर पर समापन हो गया। लेकिन, 45 दिन के इस अभूतपूर्व आयोजन की चर्चा आज भी पूरी दुनिया में हो रही है। महाकुंभ के दौरान दुनियाभर के लोगों ने आस्था का ऐसा महासागर देखा, जो इससे पहले कभी किसी ने नहीं देखा था। 45 दिन में 66 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। 50 लाख से ज्यादा विदेशी श्रद्धालु भी आए। यहां पहुंचे कई विदेशी श्रद्धालुओं ने विभिन्न अखाड़ों में सनातन की दीक्षा भी ली। यहां पहुंचने वालों ने खुले मन से सनातन धर्म और महाकुंभ की प्रशंसा की। इस महाकुंभ को लेकर युवा पीढ़ी का उत्साह विशेष रूप से रेखांकित करने वाला रहा।

दुनिया ने अद्भुत तस्वीरें देखीं

इस बार महाकुंभ में दुनिया ने अद्भुत तस्वीरें देखीं। यहां एपल के सह संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स से लेकर देश-विदेश की कई हस्तियां और फिल्मी सितारे तक पहुंचे। लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने कमला बनकर दीक्षा ली। महाकुम्भ में 100 देशों के 50 लाख विदेशी श्र‌द्धालुओं ने हिस्सा लिया। इनमें 74 देशों के राजदूत, उच्चायुक्त और 12 देशों के मंत्री शामिल रहे। महाकुंभ जितना विराट आयोजन रहा, उससे कहीं बड़ा उसका प्रभाव देखने को मिला।

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इस बार का महाकुंभ बना डिजिटल महाकुंभ

इस महाकुंभ को डिजिटल महाकुंभ बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी गई। AI बेस्ड कुंभ सहायक ऐप और गूगल नेविगेशन से युवाओं को जोड़ने में सफलता मिली। स्मार्टफोन के इस युग में युवा पहुंचे तो यहां की चकाचौंध और सांस्कृतीक कार्यक्रम को देश-दुनिया के हर हिस्से में पहुंचाने का काम किया। इन युवाओं को महाकुंभ पर्व से सनातन गर्व का अहसास हुआ और अपनी सांस्कृतिक पहचान को लेकर उनकी झिझक दूर हुई। इस बार महाकुंभ में 25-50 की उम्र के लोगों की अभूतपूर्व उपस्थिति दर्ज की गई। ये सभी लोग कैवल संगम में स्नान करने नहीं आए थे बल्कि महाकुंभ में भक्ति के अमृत पल को अपने मोबाइल के जरिए फोटो और वीडियो के रूप में सहेजने को आतुर थे। जाहिर तौर पर मोबाइल से लिए गए फोटो और वीडियो सोशल मीडिया साइट्स पर पूरे गर्व के साथ साझा की गईं।

डिजिटल महाकुंभ ने युवाओं को जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई

डिजिटल महाकुंभ ने युवाओं को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कुंभ सहायक चैटबॉट, CR कोड आधारित जानकारियां, शौचालयों की साफ-सफाई के लिए CR कोड आधारित व्यवस्था, गूगल मैप पर महाकुंभ नगरी और वहां होने वाले आयोजनों की जानकारियां, महाकुंभ नगरी में इंटरनेट के बेहतरीन सिग्नल, ऑनलाइन बुकिंग्स, फ्लाइट कनेक्टिविटी, रेल और रोड नेटवर्क ने युवाओं के उत्साह को नई दिशा दी है।

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महाकुंभ 2025 कई मामलों में खास रहा

इस बार महाकुंभ में कई तरह के रिकॉर्ड बने और अपने आकार, विस्तार और श्रद्धालुओं की हिस्सेदारी के लिहाज से भी यह पहले के कुंभ से काफी अलग रहा। इससे पहले के कुंभ के आयोजनों से इस महाकुंभ की तुलना करने पर इसकी भव्यता और दिव्यता पूरी तरह स्पष्ट होती है। इस महाकुंभ में तीन तरह के ऐसे रिकॉर्ड बने जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया। इनमें गंगा सफाई: 329 लोगों का रिकॉर्ड, हैंड पेंटिंग: 10,102 लोगों का रिकॉर्ड और झाडू से सफाई: 19,000 लोगों का रिकॉर्ड शामिल है।

महाकुंभ 2025 की उपलब्धियां

  • इस बार महाकुंभ ने कई उपलब्धियां भी अपने नाम कई कीं।
  • 4,000 हेक्टेयर में फैला कुंभ मेला क्षेत्र।
  • 25 सेक्टर में सुव्यवस्थित मेला क्षेत्र।
  • 1,850 हेक्टेयर में पार्किंग की व्यवस्था।
  • श्रद्धालुओं के लिए 1,50,000 शौचालय का निर्माण।
  • 1,60,000 सुसज्जित टेंट।
  • 67,000 एलईडी स्ट्रीट लाइट।
  • 2 नए विद्युत सब स्टेशन।
  • 66 नए विद्युत ट्रांसफॉर्मर।
  • 2,000 सोलर हाइब्रिड स्ट्रीट लाइट।
  • 1,249 किमी. पेयजल पाइपलाइन।
  • 200 वाटर एटीएम की स्थापना।
  • 85 नलकूपों की स्थापना।
  • 7,000 बस का बेड़ा।
  • 550 शटल बस का बेड़ा।
  • 7 नए बस स्टॉप।
  • 30 पांटून ब्रिज।
  • 9 पक्के घाटों की स्थापना।
  • 7 रिवर फ्रंट रोड।
  • 12 किमी में अस्थायी घाट।
  • 14 नए फ्लाईओवर और अंडरपास।
  • 11 नए कॉरिडोर का विकास।
  • 3,000 स्पेशल समेत 13,000 रेल गाडियों के साथ-साथ प्रयागराज एयरपोर्ट पर नया टर्मिनल बनाया गया।

दुनिया को दी क्राउड मैनेजमेंट की शिक्षा

इस बार महाकुंभ के पवित्र संगम में डुबकी लगाने के लिए हर कोई अपने सामर्थ्य के अनुसार उपलब्ध संसाधन के साथ पहुंचा। 700 प्राइवेट प्लेन, 2800 फ्लाइट्स और ट्रेन से 15 करोड़ लोग महाकुंभ पहुंचे। इनके अलावा अपने संसाधन और अन्य तरीकों से कई श्र‌द्धालु महाकुंप पहुंचे। जिससे यह आंकड़ा 66 करोड़ 30 लाख को पार कर गया। ऐसे में भीड़ प्रबंधन सबसे बड़ी चुनौती थी, जिसे आयोजन से जुड़े लोगों और उत्तर प्रदेश सरकार ने बहुत अच्छी तरह हैंडल किया। प्रयागराज शहर की कुल आबादी सिर्फ 15 लाख है। प्रयागराज जिला की आबादी लगभग 60 लाख है। लेकिन, महाकुंभ के 45 दिनों में हर दिन मेला क्षेत्र पहुंचने वालों की संख्या औसतन डेढ़ करोड़ से ज्यादा रही। शहर की आबादी से औसतन 10 गुना अधिक लोग हर दिन प्रयागराज में रह रहे थे। लेकिन, सरकार ने इस भीड़ के प्रबंधन के लिए पुख्ता तैयारी की थी। जिससे यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। महाकुंभ 2025 प्रयागराज क्राउड मैनेजमेंट के लिहाज से दुनिया के लिए पाठशाला बन गई।

यूपी पुलिस की कार्ययोजना काबिल-ए-तारीफ

उत्तर प्रदेश पुलिस ने महाकुंभ में पवित्र स्नान के लिए आने वालों और यहां से लौटने वालों को बिना किसी परेशानी के आवागमन के लिए हर बिन्दू का ध्यान रखा। शासन-प्रशासन ने बड़े स्तर पर कार्ययोजना तैयार की। प्रयागराज पहुंचने वाले 7 मार्गों की पहचान कर इसके पास के जिलों में विशाल पार्किंग और गाड़ियों की सुरक्षा की व्यवस्था की गई। भीड़ बढ़ने पर इन जिलों में गाड़ियों को रोकने और वहां श्र‌द्धालुओं के आराम से लेकर दैनिक कर्म के निदान तक सभी इंतजाम किए गए। आने-जाने के लिए अलग-अलग मार्ग तय किए गए। कंट्रोल रूम से हर पल मॉनिटरिंग की जाती रही। जहां भी जाम जैसे हालात बनते, उससे निपटने के उपाय तुरंत किए जाते।

सफल ट्रैफिक मैनेजमेंट

किसी भी शहर की वायु की शुद्धता पर वहां के ट्रैफिक का बड़ा असर पड़ता है। लेकिन, महाकुंभ के दौरान प्रयागराज की हवा चंडीगढ़ से भी बेहतर रही, इसका बहुत बड़ा श्रेय ट्रैफिक प्रबंधन को जाता है।महाकुंभ के दौरान पूरे 45 दिनों तक प्रयागराज में हजारों गाड़ियां पहुंचती रहीं। बस, ट्रक, कार से लेकर छोटी गाड़ियां तक हर दिशा से प्रयागराज पहुंचती दिखी। इन हजारों गाड़ियों से निकलने वाला धुआं किसी भी शहर का दाम घोटने के लिए काफी हो सकता था। लेकिन, प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान ट्रैफिक प्रबंधन की इतनी अच्छी व्यवस्था रही कि प्रयागराज की हवा हमेशा जीवनदायिनी बनी रही। क्राउड और गाड़ियों के दबाव के बावजूद शहर के अंदर-बाहर पार्किंग की सुविधाजनक व्यस्था की गई थी। शहर के किसी भी हिस्से में ट्रैफिक जाम जैसी स्थिति नहीं बनने दी गई। यातायात पुलिस के पास हर स्थिति के लिए डायवर्जन प्लान पहले से तैयार था, जिस पर आवश्यक्तानुसार कदम उठाए जाते रहे।

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Edited By

Satyadev Kumar

First published on: Mar 07, 2025 12:04 AM

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