आगरा: अक्सर आपने रावण को अट्टहास करते और सीनाजोरी करते देखा होगा, लेकिन हाल ही में एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसमें रावण को मैदान छोड़कर भागते देखा गया है। गजब की बात तो यह भी हो गई कि भागने की नाकाम कोशिश के बावजूद रावण पकड़ा गया और पिट भी गया। यह अलग बात है कि इतनी बड़ी हस्ती की बेइज्जती करने के एवज में अब सामने वाले को कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। इस घटनाक्रम में आरोपी उत्तर प्रदेश का एक पुलिस वाला है, जिसे लाइन हाजिर करते हुए उसके खिलाफ विभागीय जांच बिठा दी गई है। अब सोशल मीडिया पर इस घटनाक्रम को लेकर तरह-तरह के कमेंट्स आ रहे हैं। यूजर्स कह रहे हैं, ‘भाई पुलिस में है तो क्या हुआ, कम से कम स्टेटस का कुछ तो ख्याल कर लिया होता…पंगा भी लिया तो रावण के साथ’। जहां तक इस घटनाक्रम की वजह की बात, वह बड़ी ही रोचक है। आइए जानें, क्या है पूरा मामला…
वाकया उत्तर प्रदेश की ताज नगरी आगरा का है। दरअसल, यहां एक इलाके में रामलीला मंचन हो रहा है। बीते दिन जब यहां सीता हरण का दृश्यांकन हो रहा था तो रामलीला देखने आया उत्तर प्रदेश पुलिस का हेड कॉस्टेबल हरि चंद अचानक आग बबूला हो गया। फिर क्या था? वह बिजली की रफ्तार स्टेज पर चढ़ा और रावण के गले पड़ गया। काफी देर तक रावण जान बचाने के लिए इधर-उधर भागता रहा और हरिचंद पीछे-पीछे। आखिर रावण पकड़ा गया तो हरिचंद ने उसे जमकर पीटा। वह जय बजरंग बली के नारे लगाता रहा है और रावण को मारता रहा। गनीमत रही कि वहा मौजूद दूसरे पुलिस वालों ने बीच-बचाव कर लिया।
यह भी पढ़ें: श्रीराम ट्रस्ट को मिला रामकथा संग्रहालय, यहां मिलेंगी श्रीराम से जुड़ी सदियों पुरानी यादें
बाद में जब यह मामला विभाग के उच्च अधिकारियों के संज्ञान में आया तो उन्होंने तुरंत प्रभाव से हेड कॉन्स्टेबल हरि चंद को निलंबित कर लाइन हाजिर कर दिया है। इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि मामले की विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। पता चला है कि रामलीला में रावण का सीता हरण का दृश्य आया तो वह इतना क्रोधित हो गया कि जय बजरंगबली का नारा लगाते हुए मंच पर चढ़ गया और रावण का किरदार निभा रहे अभिनेता पर हमला कर दिया। चौंककर ‘रावण’ अपनी जान बचाने के लिए भागा, जबकि अन्य कांस्टेबलों ने हरि चंद को रोकने की कोशिश की। हरि चंद को उनके सहयोगियों ने पकड़ लिया और बाद में वरिष्ठ अधिकारियों ने निलंबित कर दिया। उधर, बाद में हरि चंद ने आयोजकों को बताया कि वह भगवान हनुमान के शिष्य थे और सीता माता के “अपहरण” को बर्दाश्त नहीं कर सकते थे।