UP News: उत्तर प्रदेश पुलिस (Uttar Pradesh Police) के एक डिप्टी एसपी को गैंगरेप केस में घूस (Bribe) लेना भारी पड़ गया। आरोप सिद्ध होने पर सीएम योगी ने डिप्टी एसपी (Deputy SP) विद्या किशोर शर्मा (Vidya Kishore Sharma) को डिमोट करके एसआई (दरोगा) बना दिया है। मामला पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है। बता दें कि डिप्टी एसपी पर पांच लाख रुपये की रिश्वत लेते का आरोप था। रामपुर पुलिस के अधिकारियों ने यह जानकारी दी है।
वर्ष 2021 में रिश्वत लेते वीडियो हुआ था वायरल
जानकारी के मुताबिक मामला वर्ष 2021 का है। विद्या किशोर शर्मा रामपुर जिले में सीओ (डिप्टी एसपी) के पद पर तैनात थे। इसी दौरान एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें सीओ कथित तौर पर पैसों से भरा बैग लेते हुए दिखाई दिए थे। मामला सामने आने के बाद सीओ को निलंबित करते हुए डीजीपी कार्यालय से संबंद्ध किया गया था।
#UPCM @myogiadityanath जी ने अनुशासनहीनता के आरोपी तत्कालीन क्षेत्राधिकारी/उपाधीक्षक, जनपद रामपुर को मूल पद पर प्रत्यावर्तित करने का निर्णय लिया है। @UPGovt @spgoyal @sanjaychapps1 pic.twitter.com/0jLcwsyBmz
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) November 1, 2022
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दरोगा और अस्पताल प्रबंधक ने किया था गैंगरेप
2021 में एक महिला ने आरोप लगाया था कि उपनिरीक्षक रामवीर यादव और एक अस्पताल प्रबंधक विनोद यादव ने उसके साथ गैंगरेप किया था। अधिकारी ने रिश्वत लेने के बाद भी कार्रवाई नहीं की थी। इस मामले में विद्या किशोर शर्मा के लिए मुश्किलें तब खड़ी हो गईं, जब पैसों का बैग लेते हुए उनका वीडियो सोशल मीडिया पर आ गया।
सीओ को निलंबत कर DGP कार्यालय से जोड़ा
हालांकि, वीडियो सामने आने के बाद दोनों आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराते हुए सीओ विद्या किशोर शर्मा को निलंबित किया गया था। शासन के आदेश पर एएसपी मुरादाबाद को इस मामले की जांच सौंपी गई थी। जांच में विद्या किशोर शर्मा के खिलाफ रिश्वत लेने के आरोप सही पाए गए।
RTI एक्टिविस्ट ने की थी शिकायत
सिविल लाइंस कोतवाली क्षेत्र की मॉडल कॉलोनी के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता दानिश खान ने विद्या किशोर शर्मा के खिलाफ केंद्रीय सतर्कता आयोग में भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज कराया था। दानिश खान ने इसकी शिकायत यूपी के सीएम से भी की थी। तभी से विद्या किशोर शर्मा चर्चा में हैं।
सीएम योगी ने किया था ट्वीट
बताया गया है कि विद्या किशोर शर्मा ने दो साल तक रामपुर सीओ रहते हुए इसी तरह के कई अपराध किए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2021 में भी उनक निलंबन को लेकर ट्वीट किया था और उन्होंने इस मामले को संज्ञान में लिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐसे मामलों में डिमोट किए गए अधिकारियों को दोबारा सीओ बनने में 10 से 12 साल लग सकते हैं।