UP News: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के जियामऊ इलाके में एक संपत्ति मामले को लेकर जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के छोटे बेटे उमर अंसारी को अग्रिम जमानत दे दी। न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने उमर अंसारी की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर यूपी सरकार से जवाब भी मांगा है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका
जानकारी के अनुसार, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 13 अप्रैल को अग्रिम जमानत की मांग करने वाली उमर अंसारी की याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने मुख्तार अंसारी के बड़े बेटे और सदर विधायक अब्बास अंसारी की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने इसी मामले में आरोप पत्र को रद्द करने की मांग की थी।
Supreme Court seeks Uttar Pradesh govt response on Mukhtar Ansari's son Umar Ansari's plea seeking anticipatory bail in connection with a case relating to property dispute case. Umar Ansari, in SC, has challenged Allahabad High Court's Lucknow bench order dated April 13, 2023… pic.twitter.com/etcFbvqoNb
— ANI (@ANI) July 17, 2023
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क्या है जमीन से जुड़ा मामला
आरोप है कि मुख्तार अंसारी और उनके बेटों ने उत्तर प्रदेश के जियामऊ इलाके में धोखाधड़ी से शत्रु संपत्ति हासिल की। इस संबंध में अगस्त 2020 में हजरतगंज थाने में केस दर्ज कराया गया था। अंसारी बंधुओं की ओर से दलील दी गई कि संपत्ति का म्यूटेशन उनके जन्म से पहले उनके पूर्वजों के नाम पर था, इसलिए उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है।
राज्य सरकार के वकील ने दी थी ये दलील
उधर राज्य के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया था। कहा कि दोनों उमर अंसारी और अब्बास अंसारी पर अपनी दादी के जाली हस्ताक्षर करने का भी आरोप लगाया था, इसलिए उनके खिलाफ स्पष्ट अपराध बनता है। लिहाजा उनकी जमानत खारिज होनी चाहिए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की ये थी टिप्पणी
यह जमीन भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए एक शक्स की थी। मोहम्मद वसीम नाम के इस शख्स की संपत्ति राज्य सरकार के रिकॉर्ड में शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक पीठ ने कहा था कि मुख्तार अंसारी और उनके बेटों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए संपत्ति को अपने नाम पर रजिस्टर कराया था।