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इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को देख सुप्रीम कोर्ट हैरान, कहा- ये खुद में विरोधाभासी है

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से जारी एक आदेश को देखकर सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य और नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक आदेश में हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अपराधियों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया और दूसरी याचिका में उन्हें दो माह के लिए सुरक्षा प्रदान कर […]

Edited By : Naresh Chaudhary | Updated: Jul 27, 2023 11:53
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parliamentary panel recommends representation of various sections in judicial appointments at high court, supreme court
संसदीय पैनल ने उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय में न्यायिक नियुक्तियों में विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधित्व की सिफारिश की है। -फाइल फोटो

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से जारी एक आदेश को देखकर सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य और नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक आदेश में हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अपराधियों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया और दूसरी याचिका में उन्हें दो माह के लिए सुरक्षा प्रदान कर दी।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश पर नाराजगी जताई, जिसने एक आपराधिक मामले में पांच आरोपियों की ओर से दायर अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई। दूसरी याचिका में उन्हें दो महीने के लिए कठोर कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान की गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को विरोधाभासी भी माना है।

सहारनपुर जिले का है केस

रिपोर्ट के अनुसार, विचाराधीन मामला उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के तहत सहारनपुर जिले में दर्ज किया गया था। इस मामले में पिछले साल मई में उच्च इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पांचों आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

याचिका खारिज होने के बाद अभियुक्तों के वकील ने हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि उन्हें मुक्ति आवेदन दायर करने की स्वतंत्रता दी जाए। साथ ही आश्वासन दिया जाए कि केस के निपटारे के दौरान उनके खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा।

हाईकोर्ट ने दिया था ये आदेश

इस पर हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया है कि उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए, यह प्रावधान किया गया है कि याची (अलीपकर्ता) डिस्चार्ज आवेदन दायर कर सकते हैं। साथ ही आज से दो महीने की अवधि के लिए आवेदकों के खिलाफ कोई भी कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा।

हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई। जिस पर 18 जुलाई को न्यायमूर्ति बी आर गवई और जे बी पारदीवाला की पीठ ने सुनवाई की। एक न्यूज एजेंसी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा गया है कि हम इलाहाबाद हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश की ओर से पारित आदेश को देखकर आश्चर्यचकित हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये आदेश

पीठ ने कहा, यह स्पष्ट है कि हाईकोर्ट की ओर से स्व-विरोधाभासी आदेश पारित किए गए हैं। एक तरफ अग्रिम जमानत के लिए आवेदन खारिज किया गया है और दूसरी तरफ दो महीने के लिए सुरक्षा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अपील स्वीकार कर ली और हाईकोर्ट के आदेश के उस हिस्से को रद्द कर दिया, जिसमें आरोपियों को दो महीने के लिए सुरक्षा प्रदान की गई थी।

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First published on: Jul 27, 2023 11:53 AM

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