Supreme Court raps UP Govt for demolition of house: सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माण के नाम पर एक घर गिराने के मामले में यूपी सरकार को जमकर फटकार लगाई है। इतना ही नहीं शीर्ष अदालत ने सरकार पर 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। बता दें इन दिनों यूपी में अपराधियों के घरों पर बुलडोजर चलाने के मामले ने तूल पकड़ रखी है। कई लोगों ने सिविक एजेंसियों द्वारा अपने घरों पर की गई कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में महाराजगंज निवासी एक शख्स ने शिकायत की थी। इस शिकायत के आधार पर साल 2020 में अदालत ने स्वत: संज्ञान लिया था। बता दें पेश याचिका में याची मनोज टिबरेवाल आकाश ने बताया था कि साल 2019 में उनके घर को गिराया गया। याचिका में दावा किया गया था कि तोड़फोड़ करने पर नियमों का पालन नहीं किया गया।
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#BREAKING Supreme Court to State of UP: How can you just enter someone’s home and demolish it without following course of law or serving notice?
---विज्ञापन---CJI DY Chandrachud: We are not inclined to accept the request of the State of UP to adjourn the proceedings since pleadings are… pic.twitter.com/pH92wOEEbY
— Bar and Bench (@barandbench) November 6, 2024
सड़क चौड़ा करने के लिए तोड़ा गया था मकान
सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि महाराजगंज में सड़क के चौड़ीकरण के चलते मकान को तोड़ा गया था। याचिका को कहा गया था कि सिविक एजेंसियों ने बिना किसी नोटिस दिए उनके मकान को अचानक एक दिन आकर ध्वस्त कर दिया। बुधवार को इस मामले में मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई की। बता दें पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।
कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश ने अपने आदेश देते हुए कहा कि यूपी सरकार का यह पूरी तरह से मनमानी रवैया है। उन्होंने कहा कि सिविक एजेंसियों ने मामले में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया। उन्होंने आगे कहा कि हमारे पास हलफनामा है जिसमें कहा गया है कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया। प्रशासन के लोग केवल मौके पर गए और लाउडस्पीकर के जरिए लोगों को जानकारी दी और फिर तोड़फोड़ की कार्रवाई कर दी। बता दें प्रशासन को जुर्माने की रकम एक महीने के अंदर देनी है।
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