Sambhal Violence Case Updates: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल हिंसा मामले में शाही जामा मस्जिद प्रबंध समिति के अध्यक्ष जफर अली को जमानत दे दी है। जेल से बाहर आने के बाद जफर अली अपने काफिले के साथ संभल पहुंचे, जहां उनका स्वागत किया है। वहीं जमानत मिलने पर उन्होंने कहा कि खुदा का शुक्र है। जनता के आशीर्वाद से जमानत मिली है। आज जुमे का शुभ दिन भी है, इसलिए अल्लाह का शुक्रगुजार हूं। 4 महीने 13 दिन जेल में रहा, बाहर आकर खुश हूं। भविष्य की योजना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अभी कुछ सोचा नहीं है। बता दें कि जफर अली वकील भी हैं।
#WATCH | Sambhal | Allahabad High Court grants bail to Shahi Jama Masjid Managing Committee Chairman Zafar Ali, in Sambhal Violence case
He says, "I got bail by the grace of the Lord and the blessings of the public… I stayed in jail for 4 months 13 days…" pic.twitter.com/FcWSKUDymf---विज्ञापन---— ANI (@ANI) August 1, 2025
क्या है संभल हिंसा मामला?
बता दें कि संभल की शाही जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर बताया जा रहा है। हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि जामा मस्जिद का निर्माण एक प्राचीन मंदिर को ध्वस्त करके किया गया था, जिसकी पुष्टि करने के लिए भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) ने 19 और 24 नवंबर 2024 को मस्जिद में सर्वे किया। 24 नवंबर 2024 को शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हिंसा हुई, जिसे भड़काने के आरोप जफर अली पर लगे। हिंसा में 4 लोगों की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे। पुलिस का आरोप है कि जफर अली ने भीड़ जुटाने, हिंसा भड़काने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई, लेकिन जफर अली ने हिंसा में अपनी संलिप्तता से इनकार किया।
यह भी पढ़ें: संभल में शाही जामा मस्जिद का नाम बदला! सत्यव्रत पुलिस चौकी में रखा नया बोर्ड
मार्च 2025 में हुए थे गिरफ्तार?
जफर अली ने दावा किया कि उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया है। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया था। मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित हुआ, जिसने पूछताछ के बाद 23 मार्च 2025 को जफर अली को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें मुरादाबाद जेल भेज दिया गया। वहीं उनके परिवार ने आरोप लगाया कि जेल में जफर अली की जान को खतरा है और उन्हें दवाइयां नहीं दी जा रही हैं। जफर अली की जमानत याचिका जिला अदालत ने खारिज कर दी थी, लेकिन 24 जुलाई 2025 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनकी जमानत मंजूर कर ली। 1 अगस्त 2025 को जज आरती फौजदार की अदालत ने भी उन्हें जमानत दे दी। इस तरह वे 131 दिन जेल से बाहर आए हैं।