Greater Noida Ganga Water Supply Update: ग्रेटर नोएडा वेस्ट के अधिकांश क्षेत्रों में गंगा जल की आपूर्ति का विस्तार किया जा चुका है। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GNIDA) के अनुसार, ग्रेटर नोएडा के 58 में से 52 सेक्टरों और ग्रेटर नोएडा वेस्ट के आठ सेक्टरों को अब गंगा के पानी की सप्लाई हो रही है। हालांकि, कुछ क्षेत्र अभी भी इस सुविधा से वंचित हैं। आइए इसके बारे में जानते हैं।
इन क्षेत्रों में नहीं है सप्लाई
ग्रेटर नोएडा में एटा 2, टेकजोन और एक्सयू 3 जैसे क्षेत्रों को अभी गंगा जल की पूरी सप्लाई नहीं मिल पाई है। इसी तरह, ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर 2, सेक्टर 4 और सेक्टर 16C भी इस सूची में शामिल हैं। इन क्षेत्रों में गंगा जल सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए भूमिगत जलाशयों (UGRs) का निर्माण तेजी से किया जा रहा है।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में तीन और ग्रेटर नोएडा में एक भूमिगत जलाशय का निर्माण कार्य जारी है। इन जलाशयों की क्षमता 1,500 किलोलीटर से 3,600 किलोलीटर तक है। इनके पूरा होने के बाद इन क्षेत्रों में गंगा जल की नियमित आपूर्ति शुरू हो जाएगी।
कैसे हो रही है पानी की आपूर्ति?
फिलहाल, पानी की सप्लाई पाइपलाइनों और ऊंची टंकियों के नेटवर्क के माध्यम से की जा रही है। अभी, ग्रेटर नोएडा की पानी की मांग 339 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रति दिन) है, जबकि आपूर्ति 374 एमएलडी की हो रही है। इसमें से 100 एमएलडी गंगा जल है, जिसे भूजल के साथ मिलाकर वितरित किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के पूरी तरह से चालू हो जाने के बाद गंगा जल की आपूर्ति बढ़कर 210 एमएलडी हो जाएगी, जिससे भूजल पर निर्भरता में उल्लेखनीय कमी आएगी।
100% जल की सप्लाई वाले क्षेत्र
ग्रेटर नोएडा के नौ सेक्टर, जिनमें अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और एटा 1 जैसे क्षेत्र शामिल हैं, अब पूरी तरह से गंगा जल सप्लाई हासिल कर रहे हैं। इसके अलावा, GNIDA के अंतर्गत आने वाले 122 गांवों में से 67 गांवों को भी गंगा जल की आपूर्ति से जोड़ा जा चुका है। GNIDA ने ग्रामीणों को नेटवर्क से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया है, क्योंकि कई गांव अभी भी बोरवेल के पानी पर निर्भर हैं। यह कनेक्शन पानी की गुणवत्ता को सुधारने और भूजल स्तर की सुरक्षा में मदद करेगा।
परियोजना का महत्व
साल 2005 में शुरू हुई इस परियोजना पर 848 करोड़ रुपये की लागत आई है। यह परियोजना 58 सेक्टरों और गांवों के 10 लाख से अधिक लोगों को लाभान्वित करेगी। 17 वर्षों के विकास कार्य के बाद इस परियोजना का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 1 नवंबर 2022 को किया।
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