Noida News: देश की राजधानी से सटे नोएडा में स्पोर्ट्स सिटी के नाम पर हुए 9 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का मामला एक बार फिर चर्चा में है। यहां रहने वाले लोगों का दर्द सोशल मीडिया पर झलक रहा है। यहां रहने वाले विशाल सिंह, अनिरूद्ध समेत कई अन्य का कहना है कि करोड़ों का घर लेने के बाद भी वह जंगल में रहने को मजबूर है। यहां महज 2 सोसायटी बनी है। योजना के मुताबिक यहां 30 हजार लोगों को रहना था, लेकिन निर्माण नहीं होने की वजह से महज 500 से एक हजार के बीच लोग रह रहे है। रात के समय यहां रहने में डर लगता है।
कैग की रिपोर्ट में खुलासा
कैग द्वारा सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट के पृष्ठ संख्या 182 और 183 पर स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि नोएडा में स्पोर्ट्स सिटी के नाम पर 9,000 करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ है। यह रिपोर्ट नोएडा प्राधिकरण की 12 वर्षों की कार्यप्रणाली का ऑडिट करने के बाद तैयार की गई है। स्पोर्ट्स सिटी घोटाले में कितने हिस्सेदार है इसका खुलासा नहीं हुआ है।
क्या है स्पोर्ट्स सिटी घोटाले की कहानी?
घोटाले की शुरुआत वर्ष 2004 में हुई। नोएडा प्राधिकरण ने एक भव्य स्पोर्ट्स सिटी विकसित करने का प्रस्ताव पास किया। वर्ष 2007 और फिर 2008 की बोर्ड बैठकों में इस योजना का विस्तार किया गया। सेक्टर-76, 78, 79, 101, 102, 104 और 107 को इसमें शामिल किया गया। वर्ष 2008 में एक नामी बिल्डर को यह जमीन आवंटित की गई।
बिल्डर ने छोटे टुकड़ों में बेच दी जमीन
बिल्डर ने स्पोर्ट्स सिटी के नाम पर मिली जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर 90 से अधिक अन्य बिल्डरों को सौंप दिया। इस प्रक्रिया में कायदे-कानूनों की अनदेखी की गई। जमीन का उपयोग खेल गतिविधियों के बजाय रिहायशी परियोजनाओं के लिए किया गया और हजारों करोड़ रुपये की कमाई की गई।
जमीन पर जंगल, जिम्मेदारी अधर में
आज तक 16 साल बाद भी स्पोर्ट्स सिटी के नाम पर कुछ गिने-चुने फ्लैट्स के अलावा अधिकतर भूमि वीरान पड़ी है। इस योजना का एक बड़ा हिस्सा अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन है। न तो नोएडा प्राधिकरण, न ही राज्य सरकार और न ही कैग रिपोर्ट में किसी अधिकारी, कर्मचारी या बिल्डर की जवाबदेही तय की गई है।
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