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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

नोएडा स्पोर्ट्स सिटी के डेवलपर्स पर अब भी 11,642 करोड़ बकाया, 319 करोड़ की वसूली

Noida News: नोएडा के स्पोर्ट्स सिटी परियोजना एक बार फिर चर्चा में है. चार प्रमुख डेवलपर्स लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स, लोटस ग्रीन्स कंस्ट्रक्शन्स, जानाडू एस्टेट और एटीएस होम्स पर अब भी कुल 11,642 करोड़ की भारी-भरकम राशि बकाया है.

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : praveen vikram Updated: Oct 15, 2025 18:08

Noida News: नोएडा के स्पोर्ट्स सिटी परियोजना एक बार फिर चर्चा में है. नोएडा प्राधिकरण द्वारा परियोजना से जुड़े 81 सबलीज धारकों में से 62 को बकाया राशि जमा करने के लिए नोटिस जारी किए गए थे, जिसके जवाब में अब तक 319 करोड़ रुपये की वसूली हो चुकी है. ये सबलीज सेक्टर 78, 79, 150 और 152 में स्थित हैं.

4 डेवलपर्स नहीं चुका रहे रकम

चार प्रमुख डेवलपर्स लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स, लोटस ग्रीन्स कंस्ट्रक्शन्स, जानाडू एस्टेट और एटीएस होम्स पर अब भी कुल 11,642 करोड़ की भारी-भरकम राशि बकाया है. इनमें अकेले लॉजिक्स पर 4,082 करोड़ और लोटस ग्रीन्स पर 4,177 करोड़ का बकाया है. जानाडू एस्टेट पर 635 करोड़ और एटीएस होम्स पर 2,745 करोड़ बकाया है.

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फरवरी में दिया था आदेश

यह पूरा मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फरवरी 2025 में दिए गए आदेश के बाद अलग मोड़ पर पहुंचा, जिसमें कोर्ट ने परियोजना में कथित अनियमितताओं को देखते हुए सीबीआई और ईडी जांच के निर्देश दिए थे. कोर्ट ने प्राधिकरण और बिल्डरों की मिलीभगत का हवाला देते हुए जांच की सिफारिश की थी.

कुछ ने किया आंशिक भुगतान

नोटिस जारी होने के बाद कंसोर्टियम कंपनी के अंतर्गत आने वाले कुछ डेवलपर्स जैसे कंटेंड बिल्डर्स (140 करोड़) ब्रिक राइज डेवलपर्स (89 करोड़) ऐस इंफ्रासिटी डेवलपर्स (12 करोड़) और स्टार लैंड क्राफ्ट (80 करोड़) ने आंशिक भुगतान किया है.

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कानूनी पेंच और राहत की लड़ाई

बकाया भुगतान से बचने या राहत पाने के लिए कई डेवलपर्स ने एनसीएलटी, एनसीएलएटीए इलाहाबाद उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है. वर्तमान में एनसीएलटी और एनसीएलएटी में 9 याचिकाएं लंबित हैं. जबकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 25 मामले विचाराधीन हैं.

2008 में शुरू हुई थी परियोजना

गौरतलब है कि यह परियोजना 2008 के राष्ट्रमंडल खेलों के आसपास शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य खेल सुविधाओं के साथ आवासीय और व्यावसायिक टाउनशिप का विकास करना था. योजना के तहत 70 फीसदी भूमि खेल गतिविधियों और 30 फीसदी भूमि व्यावसायिक उपयोग के लिए आरक्षित थी. परंतु समय के साथ यह परियोजना भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और कानूनी दांवपेंचों में उलझ गई.

ये भी पढ़ें: नोएडा में स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स का निर्माण अटका, पीपीपी मॉडल पर फिर से मंथन शुरू

First published on: Oct 15, 2025 06:08 PM

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