Noida Police Exposed Fake Aadhar Cards Gang: उत्तर प्रदेश के नोएडा में फर्जी आधार कार्ड और रेंट एग्रीमेंट बनाने वाले गैंग का भंडाफोड़ किया गया है। नोएडा पुलिस ने इस गिरोह का पर्दाफाश करते हुए 9 लोगों को गिरफ्तार किया है। यह गैंग पिछले 5-6 सालों से लोगों के फर्जी आधार कार्ड, रेंट एग्रीमेंट, जन्म प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र जैसे फर्जी डॉक्यूमेंट बनाने का काम कर रहा था। यह गिरोह इस काम से हर रोज 20 से 25 हजार रुपये कमाता था। पुलिस के पास से 10 मोबाइल फोन, 2 लैपटॉप और 6 CPU बरामद किए गए हैं।
#WATCH | Noida, UP | DCP Central Noida, Shakti Mohan Awasthi says, “Police Station Bisrakh has arrested 9 accused including few workers of a private bank, service centre and service delivery workers…Their modus operandi was to make Aadhar cards, rent agreements, birth… pic.twitter.com/O59Z2CU8iE
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) February 6, 2025
महीने का 6-7 लाख कमाता था गैंग
इस गिरोह का पर्दाफाश करते हुए डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि यह गैंग कुछ बैंक कर्मियों और कॉल सेंटर के मालिकों और कर्मचारियों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेजों के साथ असली आधार कार्ड बना रहे थे। बिसरख पुलिस ने इस गैंग के 9 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने बताया कि यह गैंग इस काम से हर रोज 20 से 25 हजार रुपये और हर महीने 6 से 7 लाख रुपये कमाता था। गिरफ्तार हुए लोगों में 2 लोग मौजूदा समय में प्राइवेट बैंक के कर्मचारी हैं और बाकी के 7 लोग कॉल सेंटर में काम करने वाले हैं।
गैंग के पास था UIDAI का लाइसेंस
पुलिस ने आगे बताया कि उन्हें इस गैंग के पास से आईडी भी मिली, जिससे यह गैंग अलग-अलग सरकारी और प्राइवेट डॉक्यूमेंट के लिए आवेदन करता था। पुलिस को इनके पास से कई सारे बिजली के बिल, बर्थ सर्टिफिकेट, फर्जी रेंट एग्रीमेंट और आधार कार्ड मिले हैं। इन लोगों के पास UIDAI का लाइसेंस भी मिला हुआ था, जिसके जरिए ये इन फर्जी डॉक्यूमेंट पर असली आधार कार्ड के लिए आवेदन करते थे।
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gov.in नाम की फर्जी वेबसाइट
डीसीपी अवस्थी ने बताया कि इस गैंग ने बड़ी चालाकी से ओरिजिनल वेबसाइट की तरह अपनी खुद की एक फर्जी वेबसाइट बनाई थी, जिसका उन्होंने gov.in नाम से डोमेन ले रखा था। इस गैंग के मुख्य आरोपी का नाम अजय जायसवाल है। वह यह काम करीब 5 से 6 साल से कर रहा है। आरोपी अजय जायसवाल ने कई प्राइवेट कंपनियों में भी काम किया है। यह गैंग एक डॉक्यूमेंट बनाने के 2000 से 3000 रुपये लेते थे। इनकी रोजाना की कमाई 20 से 25 हजार रुपये थी।