Nithari Killings: निठारी हत्याकांड सामने आने के बाद पूरा देश सहम गया था। इस मामले में सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दोनों दोषियों मोनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया था। न्यायालय ने कहा कि मामला कितना निर्मम था। लेकिन इसकी जांच बेहद ढीले तरीके से की गई। दोषियों को बरी करते समय न्यायालय ने कड़ी टिप्पणियां की। कोर्ट ने साफ कहा कि नौकर कोली को विलेन की तरह फंसाया गया। जबकि हत्याओं का कारण मानव अंग तस्करी होने की संभावनाओं की ओर जांच करने वालों का ध्यान नहीं गया।
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कोर्ट ने कहा कि घटनास्थल के पास से एक ऐसे आदमी को गिरफ्तार किया गया था, जो किडनी मामले में आरोपी था। कोर्ट ने कहा कि जिस तरीके से मामले को हल्के में लिया गया, वह चिंताजनक है। गिरफ्तारी, इकबालिया बयान और बरामदगी को लेकर ध्यान नहीं दिया गया। हाई कोर्ट ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि पुलिस रिमांड के 60 दिन बाद सुरेंद्र कोली का इकबालिया बयान लिया गया था। न पुलिस के टॉर्चर की जांच की गई। बिना मेडिकल जांच और कानूनी मदद दिए बिना सब कुछ किया गया।
कोर्ट ने हत्याओं पर जाहिर की चिंता
कोर्ट ने बच्चों और महिलाओं की हत्याओं पर चिंता जताई। लेकिन कहा कि आरोपियों को न्याय न मिले, सबूतों के अभाव में सजा दे दें, ऐसा नहीं हो सकता है। जांच में गड़बड़ हुई है, सबूतों को इकट्ठा करने में भी सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि गरीब नौकर को फंसाकर जांच का आसान रास्ता चुना गया हो। महिला और बाल विकास मंत्रालय ने भी मानव अंग तस्करी की संभावना को देखते हुए जांच की सिफारिश की थी। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
मकान के पास से मिले थे कंकाल
यह मामला 2005 और 2006 के बीच का है। निठारी में एक मकान के पास नाले से दिसंबर 2006 में मानव कंकाल पाए गए थे। पंधेर मकान का मालिक था, कोली नौकर। बाद में सीबीआई ने कोली के खिलाफ मर्डर, रेप, किडनैपिंग आदि के 16 केसों में आरोप पत्र दायर किया था। पंधेर के खिलाफ अनैतिक मानव तस्करी के आरोप थे। अब हाई कोर्ट ने दोनों को बरी किया है। इससे पहले गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने कोली और पंधेर को मौत की सजा सुनाई थी। दोनों ने इस फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।