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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर में मौजूद मस्जिद हटाई जाएगी, SC ने दिया तीन माह का समय

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार (12 मार्च) को अधिकारियों को तीन महीने में इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर (Allahabad High Court Complex) से एक मस्जिद (mosque) को हटाने का निर्देश दिया है। वर्ष 2017 में दायर की थी याचिका जानकारी के मुताबिक याचिकाकर्ताओं वक्फ मस्जिद और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने नवंबर 2017 […]

Author Edited By : Naresh Chaudhary
Updated: Mar 13, 2023 17:00
Petition Dismissed Of live in Relationship

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार (12 मार्च) को अधिकारियों को तीन महीने में इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर (Allahabad High Court Complex) से एक मस्जिद (mosque) को हटाने का निर्देश दिया है।

वर्ष 2017 में दायर की थी याचिका

जानकारी के मुताबिक याचिकाकर्ताओं वक्फ मस्जिद और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने नवंबर 2017 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी थी। उन्हें मस्जिद को परिसर से बाहर करने के लिए तीन महीने का समय दिया था। इसको लेकर याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीमकोर्ट का रुख किया गया। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया।

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जमीन के पट्टे को अधिकार के रूप में दावा नहीं कर सकते

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने यह आदेश किया है। हालांकि सुप्रीमकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को मस्जिद के लिए पास की जमीन को आवंटित करने के लिए यूपी सरकार को अनुमति दी है। इसने याचिकाकर्ताओं को बताया कि भूमि एक पट्टे की संपत्ति थी, जिसे समाप्त कर दिया गया था। वे इस पट्टे को जारी रखने के अधिकार के रूप में दावा नहीं कर सकते।

मस्जिद पक्ष की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल

पीठ ने कहा है कि हम याचिकाकर्ताओं की ओर से निर्माण को गिराने के लिए तीन महीने का समय देते हैं। यदि आज से तीन महीने की अवधि में निर्माण नहीं हटाया जाता है, तो यह हाईकोर्ट समेत अधिकारी इसे हटाने या ध्वस्त करने के लिए स्वतंत्र हैं। वहीं मस्जिद की प्रबंधन समिति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि मस्जिद 1950 के दशक से यहां है और इसे यूं ही हटने के लिए नहीं कहा जा सकता।

हाईकोर्ट पक्ष ने कहा, ये धोखाधड़ी का है मामला

उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में सरकार बदली और सब कुछ बदल गया। नई सरकार बनने के 10 दिन बाद एक जनहित याचिका दायर की जाती है। हमें वैकल्पिक स्थान पर स्थानांतरित होने में कोई समस्या नहीं है। इस पर हाईकोर्ट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि यह पूरी तरह से धोखाधड़ी का मामला है।

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First published on: Mar 13, 2023 05:00 PM

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