---विज्ञापन---

Mahakumbh Stampede: 30 मौतों का जिम्मेदार कौन, सच बताने में क्यों लगे 17 घंटे?

Mahakumbh Stampede Inside Story: प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ मची और 30 लोग कुचलकर मारे गए। हादसे के लिए लोगों को साथ-साथ 5 अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, क्योंकि लोगों के सामने बड़ा सवाल यह है कि पुलिस-प्रशासन को सच कबूल करने में 17 घंटे क्यों लगे?

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Jan 30, 2025 09:03
Share :
Mahakumbh Stampede
Mahakumbh Stampede

Who is Responsible for Mahakumbh Stampede: प्रयागराज महाकुंभ में त्रिवेणी घाट पर बने संगम नोज मची भगदड़ में 30 लोगों की मौत होने की पुष्टि योगी सरकार ने की है। 90 से ज्यादा लोग दबे थे। 25 मृतकों की शिनाख्त हो चुकी है। मृतकों में उत्तर प्रदेश के 19 लोग शामिल हैं। कर्नाटक के 4, गुजरात और असम के एक-एक शख्स की भी मौत हुई है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि सारा दिन की जद्दोजहद के बाद रात को यह पुष्टि की जा रही है कि 30 मौत हुई हैं।

इससे पहले सारा दिन मुख्यमंत्री योगी, उनके प्रशासन और प्रदेश पुलिस ने भगदड़ में हुई मौतों का जिक्र तक नहीं किया, जबकि प्रधानमंत्री मोदी तक मृतकों को श्रद्धांजलि दे चुके थे। आखिरी योगी सरकार को भगदड़ मचने से हुई 30 मौतों की पुष्टि करने में 17 घंटे क्यों लग गए? भगदड़ हुई, यह मानने से प्रशासन और पुलिस अधिकारी क्यों बच रहे थे? देरी के पीछे की वजह क्या है?

---विज्ञापन---

 

इसलिए लग गए सच को स्वीकारने में 17 घंटे

दरअसल, 5 पुलिस अधिकारियों DIG वैभव कृष्ण, ADG भानु भास्कर, SSP राजेश द्विवेदी, मेला अधिकारी विजय किरण आनंद, मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत पर महाकुंभ की तैयारियों की जिम्मेदारी थी, जिनकी सक्रियता, तत्परता महाकुंभ में मची भगदड़ के बाद सुबह नजर आई, ताकि महाकुंभ में भगदड़ मचने और लोगों की मौत होने का कलंक जहां लग चुका था, वहां महाकुंभ में पवित्र स्नान होने का कलंक न लग जाए।

इसलिए उत्तर प्रदेश के यह अधिकारी दिनभर कहां कुछ हुआ? कहते हुए सच बताने से बचते रहे। इनका फोकस सिर्फ इस बात पर रहा कि सभी 13 अखाड़ों और श्रद्धालुओं का शाही स्नान अच्छे से हो जाए। भगदड़ मचने के बाद प्रशासनिक स्तर पर सबसे पहला बयान महाकुंभ मेले के लिए तैनात विशेष कार्यकारी अधिकारी आकांक्षा राणा का आया, जिन्होंने माना की बैरियर टूटे और भगदड़ मची, लेकिन इन्होंने कहा कि ज्यादा गंभीर स्थिति नहीं है।

जबकि भगदड़ पीड़ितों का दर्द कुछ और ही बयां कर रहा था। लोग मर रहे थे, अस्पताल मे चीख पुकार मची थी, लेकिन दिनभर अधिकारी हादसे से पल्ला झाड़ते रहे। SSP राजेश द्विवेदी ने हादसे को सिर्फ अफवाह बताया। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर अशोक गहलोत तक मृतकों को श्रद्धांजलि दे चुके थे, लेकिन महाकुंभ के लिए जिम्मेदारी अधिकारी असंवेदनशील हो चुके थे। कहते रहे कोई खतरा नहीं, स्थिति कंट्रोल में है।

 

दिन में पल्ला झाड़ा, शाम को मुआवजा दिया

बता दें कि मौनी अमावस्या पर 144 साल बाद लगे महाकुंभ में पवित्र स्नान करने करीब 8 करोड़ लोग उमड़े थे, लेकिन अलसुबह करीब 2 बजे त्रिवेणी संगम पर भगदड़ मच गई। धक्का मुक्की और चीख पुकार के बीच ऐसी अफरातफरी मची कि करीब 90 लोग एक दूसरे से नीचे दब गए। इसके बाद एंबुलेंस का सायरन, रोते बिलखते लोगों की आवाजों, दर्द से बिलखते घायलों की सिसकियों और भगदड़ में मारे गए लोगों की लाशों का मंजर महाकुंभ में देखने को मिला।

हादसे के बाद पहले सभी 13 अखाड़ों ने पवित्र स्नान रद्द कर दिया और बसंत पंचमी पर पवित्र स्नान करने का ऐलान किया। दोपहर होते-होते ऐलान फुस्स हो गया और पुलिस-प्रशासन अधिकारियों ने, योगी सरकार ने अखाड़ों को भी स्नान करने की परमिशन दे दी। रात तक अखाड़ों और श्रद्धालुओं का स्नान चला। दिनभर बयानबाजी, प्रतिक्रियाएं सुनने को मिलती रहीं। प्रधानमंत्री मोदी ने 4 बार और गृहमंत्री अमित शाह ने एक बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बातचीत करते हालातों का जायजा लिया।

देरशाम मुख्यमंत्री योगी ने 30 मौत होने की पुष्टि की। 3 अधिकारियों का न्यायिक आयोग बनाकर हादसे की जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी। मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख मुआवजा देने का ऐलान किया। हादसे की वजह बैरिकेड टूटना बताया गया, जिसे क्रॉस करके श्रद्धालु संगम तक स्नान करने दौड़ने लगे कि भगदड़ मच गई। पहले स्नान करने की जद्दोजहद में लोग कुचले गए और मारे गए।

HISTORY

Edited By

Khushbu Goyal

First published on: Jan 30, 2025 08:13 AM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें