Uttar Pradesh Crime News: उत्तर प्रदेश के कासगंज में हुए चंदन गुप्ता हत्याकांड के मामले में एनआईए कोर्ट ने 28 आरोपियों को दोषी करार दिया है। सभी को कल सजा सुनाई जाएगी। NIA कोर्ट ने मामले में दो आरोपियों को बरी भी किया है। उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में तिरंगा यात्रा के दौरान चंदन गुप्ता की हत्या की गई थी। आरोपियों ने हाई कोर्ट में एनआईए कोर्ट की सुनवाई पर रोक लगाने को लेकर अर्जी दायर की थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस याचिका को खारिज कर दिया था। जिसके बाद अब NIA कोर्ट ने मामले में फैसला सुनाया था।
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चंदन गुप्ता का मर्डर 26 जनवरी 2018 को कर दिया गया था। इस हत्याकांड के बाद यूपी की सियासत गर्मा गई थी। जिसके बाद जिले में हिंसा भड़क उठी थी। UP पुलिस ने मामले में मुख्य आरोपी वसीम, सलीम, नसीम के साथ अलावा 100 से अधिक लोगों को अरेस्ट किया था। नसीम, सलीम और वसीम आपस में सगे भाई हैं। हालांकि पुलिस जांच के बाद कई आरोपियों को छोड़ दिया गया था। चंदन के पिता ने अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए 6 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी। सरकार ने कासगंज शहर में एक चौक चंदन गुप्ता के नाम पर बनाने का ऐलान किया था।
REMEMBER: Chandan Gupta ?
---विज्ञापन---The 18 year old hindu son who was murdered by G’hadis in Kasganj, UP in 2018!
He participated in BJP’s Tiranga Yatra, and entered into a dispute with Ms on the way & was shot dead in cold blood by them!
The BJP government had made big promises to his… pic.twitter.com/IMwSriGkSq
— Ritu #सत्यसाधक (@RituRathaur) November 7, 2024
गोली मारकर किया गया था मर्डर
आरोपों के मुताबिक चंदन गुप्ता को गोली मारी गई थी। चंदन के पिता सुशील गुप्ता की शिकायत पर कासगंज थाने में केस दर्ज किया गया था। पुलिस ने लगभग 30 आरोपियों को नामजद किया था। चंदन गुप्ता उस समय बीकॉम की पढ़ाई कर रहा था। वह एक सामाजिक संस्था भी चलाता था। सुशील गुप्ता कासगंज के एक अस्पताल में बतौर कंपाउंडर के तौर पर करते हैं। उनके 3 बेटे थे। चंदन सबसे छोटा था।
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26 जनवरी 2018 को विश्व हिंदू परिषद और हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता करीब 100 मोटरसाइकिलों पर तिरंगा और भगवा झंडा लेकर निकले थे। उनके साथ ABVP कार्यकर्ता चंदन गुप्ता भी था। यात्रा के दौरान कुछ मुस्लिम युवकों से झड़प हो गई थी। इसके बाद दंगा भड़क गया था। चंदन गुप्ता की हत्या कर दी गई थी। उसकी मौत के बाद कासगंज में हालात इतने खराब हो गए थे कि प्रशासन को इंटरनेट बंद करना पड़ा था। करीब एक हफ्ते तक दंगे हुए थे। मामले में असीम कुरैशी, नसरुद्दीन को दोष मुक्त किया गया है।