Karhal Bypolls: यूपी में 9 सीटों के उपचुनाव के प्रचार में जुबानी जंग जारी है। सपा नेता अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के नेता लगातार ये दावा करते हैं कि भाजपा कभी करहल नहीं जीत पाएगी। लेकिन क्या ऐसा है कि बीजेपी कभी करहल में नहीं जीती। इतिहास के पन्नों को पलटकर देखें तो एक ऐसा मौका था, जब पिछले दो दशक में एक बार के लिए बीजेपी ने करहल में कमल खिला दिया। ये मौका था 2002 का, जब करहल विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सपा को करारी मात दी, उस समय मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव ने बीजेपी को हराने के लिए दिन रात एक कर दिया था, लेकिन कमल को खिलने से रोक नहीं सके।
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इससे पहले कि हम 2002 की चुनावी लड़ाई पर आएं। बात करते हैं 2024 की। अभी की स्थिति देखें तो करहल में मुकाबला सपा बनाम बीजेपी का ही है। सपा ने जहां तेज प्रताप यादव को टिकट दिया है, वहीं बीजेपी ने धर्मेंद्र यादव के जीजा अनुजेश यादव को मैदान में उतारा है। इस तरह पूरा मुकाबला यादव बनाम यादव का हो गया है। अनुजेश यादव धर्मेंद्र यादव की बहन संध्या यादव के पति हैं। वे फिरोजाबाद से जिला पंचायत सदस्य भी रह चुके हैं। वहीं संध्या यादव 2015 से 2020 तक मैनपुरी जिला पंचायत अध्यक्ष रही हैं।
2002 में बीजेपी ने भेदा करहल का दुर्ग
करहल को सपा का दुर्ग कहा जाए तो गलत नहीं होगा। मायावती अपने सियासी उरूज पर भी करहल का दुर्ग नहीं भेद सकी थीं। लेकिन 2002 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सोबरन सिंह यादव को टिकट देकर करहल में सपा के वर्चस्व को तोड़ दिया था। इस चुनाव में सपा ने अनिल यादव को टिकट दिया था, लेकिन मुलायम सिंह और शिवपाल यादव, सोबरन को जीतने से रोक नहीं सके।
सोबरन सिंह यादव सपा छोड़कर आए थे, तो उन्हें सपा के सारे दांव पेंच पता थे। चुनाव में शिवपाल और मुलायम ने खूंटा गाड़ दिया। लेकिन वोटों का झुकाव सोबरन के पक्ष में रहा। अंतिम नतीजों में भी सोबरन विजेता बनकर उभरे। उन्हें 50031 वोट मिले तो सपा उम्मीदवार अनिल यादव को 49106 वोट मिले। अंत में सोबरन यादव 925 वोटों से विजयी रहे।
अखिलेश के करहल छोड़ने के बाद खाली हुई सीट
बाद में 2004 में मुलायम सिंह सोबरन यादव को अपनी पार्टी में लेकर आए। सोबरन 2002 से लेकर 2017 तक अगले 15 साल करहल से विधानसभा चुनाव जीतते रहे। 2022 में उन्होंने अखिलेश यादव के लिए करहल सीट छोड़ दी। लोकसभा चुनाव 2024 जीतने के बाद अखिलेश यादव ने करहल सीट से इस्तीफा दे दिया और यहां से तेज प्रताप यादव को चुनावी मैदान में उतारा।
करहल के सामाजिक समीकरण को देखें तो यहां करीब सवा तीन लाख वोटर हैं और करीब सवाल लाख वोट यादव समाज के हैं। इसके बाद दलित, शाक्य और पाल-ठाकुर समाज के भी वोट हैं। मुस्लिम वोट भी एक निर्णायक संख्या में हैं। 2022 के चुनाव में अखिलेश यादव को 1 लाख 48 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। वहीं बीजेपी के एसपी बघेल को 80 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। यहां बसपा के उम्मीदवार कुलदीप नारायण को 15 हजार 701 वोट मिले थे।