UP kannauj Railway Station Accident : उत्तर प्रदेश के कन्नौज रेलवे स्टेशन पर निर्माणाधीन इमारत का लेंटर अचानक से गिर गया, जिसके मलबे में करीब 40 मजदूर दब गए। रेस्क्यू टीमों ने अबतक 28 मजदूरों को बाहर निकाल लिया और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। मलबे के नीच फंसे अन्य लोगों को पता लगाने के लिए ड्रोन, डॉग स्क्वॉड समेत अन्य तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। रेलवे ने इस घटना की जांच करने के आदेश दिए हैं। आइए जानते हैं कि कन्नौज रेलवे स्टेशन हादसे की क्या है इनसाइड स्टोरी?
कानपुर मंडल के आयुक्त के विजयेंद्र पांडियन ने बताया कि शनिवार देर रात तक 28 मजदूरों को बचा लिया गया और उन्हें कन्नौज, कानपुर और लखनऊ जिलों के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया। उन्होंने कहा कि घटनास्थल पर अभी भी रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है। एनडीआरएफ की टीम भी मलबा हटाने में जुटी है। पूर्वोत्तर रेलवे के प्रवक्ता पंकज कुमार सिंह का कहना है कि गंभीर रूप से घायलों को 2.5-2.5 लाख रुपये और मामूली रूप से घायलों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इज्जत नगर मंडल के अतिरिक्त मंडल रेल प्रबंधक, योजना एवं डिजाइन के मुख्य अभियंता और मुख्य सुरक्षा आयुक्त की टीम इस घटना की जांच करेगी।
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निर्माणाधीन इमारत पर बिछाया जा रहा था स्लैब
इस हादसे को लेकर प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि 20 फीट की ऊंचाई पर 150 फीट लंबा और 45 फीट चौड़ा स्लैब बिछाया जा रहा था, तभी अचानक से पूरा निर्माणाधीन लेंटर तेजी से नीचे गिर गया। यह निर्माण अमृत भारत परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य स्टेशन का पुनर्विकास करना था। इसे लेकर कन्नौज के स्टेशन मास्टर आनंद प्रसाद ने बताया कि पिछले दो महीने से निर्माण का कार्य चल रहा था।
#WATCH | Uttar Pradesh: Visuals from the spot where an under-construction lintel collapsed at Kannauj railway station (10/01)
According to Kanpur Commissioner K Vijayendra Pandian says, “Around 28 people have been rescued…6 people are seriously injured but out of danger” pic.twitter.com/cgKzVSeSE5
— ANI (@ANI) January 11, 2025
लंच ब्रेक के बाद हुआ हादसा
दुर्घटना में बाल-बाल बचे पन्ना लाल नामक एक कर्मचारी ने बताया कि घटनास्थल पर करीब 40 मजदूर थे। लंच ब्रेक के बाद काम फिर से शुरू हो गया था और स्लैब का आधा हिस्सा पहले ही बिछा दिया गया था। स्टेशन के एंट्री गेट के पास लोहे और बांस के मचान को संभालने के लिए 4 से 5 मजदूर लगे हुए थे। उन्होंने हादसे को याद करते हुए कहा कि कुछ ही मिनटों में पूरा स्लैब नीचे गिर गया। वह कोने में था और भागकर बाहर आया, क्योंकि चारों ओर चीख-पुकार मची हुई थी।
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धूल-मलबे से भर गई थी हवा
जब मजदूर और आसपास के लोग मदद के लिए चिल्लाने लगे तो दहशत फैल गई। कुछ मजदूर मलबे से खुद को बचाने का प्रयास कर रहे थे, जबकि अन्य गिरे हुए बीम और स्लैब को उठाने की कोशिश कर रहे थे। धूल और मलबे से हवा भर गई, जिससे देखना या सांस लेना मुश्किल हो गया।