Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने जल प्रदूषण को नियंत्रित करने और संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने की योजना तैयार की है। शहर के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) से निकलने वाले ट्रीटेड वाटर को और अधिक स्वच्छ और उपयोगी बनाने की योजना बनाई गई है। इसके तहत सभी एसटीपी को तकनीकी रूप से अपग्रेड किया जाएगा और उनमें एक अतिरिक्त फिल्टर सिस्टम लगाया जाएगा। इससे पानी की गुणवत्ता में सुधार होगा।
अगले सप्ताह मिल जाएगी डीपीआर
इस योजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) आईआईटी दिल्ली द्वारा तैयार की जा रही है। अगले सप्ताह तक उपलब्ध होने की उम्मीद है। यह तकनीक पहले से नोएडा के सेक्टर-54 स्थित एसटीपी में प्रयोग में लाई जा रही है। ट्रीटेड वाटर को इससे ज्यादा से ज्यादा उपयोग में लाया जा सकेगा।
फीकल की मात्रा को कम करना लक्ष्य
वर्तमान में ग्रेटर नोएडा के एसटीपी से निकलने वाले ट्रीटेड वाटर में फीकल (मल तत्व) की मात्रा लगभग 230 मिलीग्राम प्रति लीटर है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के अनुसार इसे घटाकर 100 मिलीग्राम प्रति लीटर से भी कम करना होगा। इस प्रक्रिया में टोटल डिजॉल्व्ड सॉलिड्स (TDS), बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) और केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (COD) का स्तर भी इतना कम हो जाएगा कि पानी का इस्तेमाल औद्योगिक उत्पादनों में किया जा सकेगा।
त्रिस्तरीय शोधन प्रणाली का होगा विकास
प्राधिकरण की योजना है कि एसटीपी को ‘ट्रेसरी ट्रीटमेंट प्लांट’ के रूप में विकसित किया जाए। यानी इन प्लांट्स पर त्रिस्तरीय शोधन प्रणाली लागू की जाएगी। इसके लिए प्रति एमएलडी लगभग 20 लाख रुपये की लागत का अनुमान है। अपग्रेडेशन के बाद ये प्लांट्स न केवल अधिक स्वच्छ पानी देंगे बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी अधिक अनुकूल होंगे।
एसीईओ क्या बोली ?
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की एसीईओ प्रेरणा सिंह ने बताया कि सभी एसटीपी को तकनीकी रूप से अपग्रेड करने की तैयारी है। आईआईटी दिल्ली से डीपीआर बनवाई जा रही है। प्राधिकरण की कोशिश है कि ट्रीटेड वाटर को स्वच्छ बनाया जा सके। इस पानी का इस्तेमाल औद्योगिक उत्पादनों के लिए भी किया जा सकेगा।
ये भी पढ़ें: Noida News: नोएडा से ग्रेटर नोएडा वेस्ट के मेट्रो रूट पर होंगे 11 स्टेशन, 3 हजार करोड़ होंगे खर्च