Prayagraj Maha kumbh 2025 : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम का पानी नहाने योग्य नहीं है। करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा रहे हैं, जिससे गंगा और यमुना नदियों में फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया का लेवल हाई हो गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट ने सबको चौंका दिया। फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भी चिंता जताई है।
द नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने प्रयागराज की गंगा-यमुना नदियों में हाई लेवल फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया पर चिंता जताई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा 3 फरवरी को दायर एक रिपोर्ट में फेकल बैक्टीरिया की बात कही गई है। पानी में हाई लेवल फेकल बैक्टीरिया स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
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जानें CPCB की रिपोर्ट में क्या हुआ खुलासा?
सीपीसीबी की रिपोर्ट के अनुसार, नदी के पानी की क्वालिटी बायो कैमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) के मामले में नहाने के लिए तय किए गए मानदंडों के अनुरूप नहीं है। साथ ही यह फेकल कोलीफॉर्म (FC) के मामले में नहाने के लिए तय किए गए प्राइमरी वाटर क्वालिटी के अनुसार नहीं है।
यूएस के रिसर्च प्रोग्राम ने क्या कहा?
यूएस बेस्ड वाटर रिसर्च प्रोग्राम KnowYourH2O का कहना है कि अनट्रीटेड फेकल मैटर वाटर में अतिरिक्त कार्बनिक पदार्थ जोड़ता है, जो सड़ता है, जिससे पानी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। साथ ही यह भी कहा गया है कि यह जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा है। फेकल कोलीफॉर्म का हाई लेवल स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा है, जिनमें टाइफाइड, गैस्ट्रोएंटेराइटिस और डिसेंट्री शामिल हैं।
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जानें क्या होती हैं बीमारियां?
विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (CSE) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोलीफॉर्म काउंट द्वारा सीवेज में मल पदार्थ की मात्रा की निगरानी की जाती है। कोलीफॉर्म जल गुणवत्ता का एक मापदंड है, जो रोगाणुओं के सूचक के रूप में कार्य करता है, जिससे दस्त, टाइफाइड और आंतों से संबंधित बीमारियां होती हैं।