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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

उत्तर प्रदेश में 121 राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द, क्यों हुआ एक्शन?

चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के 121 राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द कर दी है. ये दल बीते छह वर्षों से किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं ले रहे थे. मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि 19 सितंबर 2025 को आदेश जारी किया गया. उत्तर प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, पंजाब, मध्य प्रदेश, बिहार और आंध्र प्रदेश में भी इसी तरह की कार्रवाई की गई है.

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Avinash Tiwari Updated: Sep 19, 2025 23:08
Election Commission
भारत के निर्वाचन आयोग का कार्यालय (फोटो सोर्स-सोशल मीडिया)

उत्तर प्रदेश में 121 राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द कर दी गई. चुनाव आयोग द्वारा इन राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने का फैसला लिया गया है. ये राजनीतिक दल उत्तर प्रदेश के 51 अलग-अलग जिलों में रजिस्टर्ड किए गए थे, हालांकि लगातार 6 साल तक चुनाव ना लड़ने के बाद चुनाव आयोग ने इनकी मान्यता रद्द कर दी है.

मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) नवदीप रिणवा ने बताया कि 19 सितंबर 2025 को आयोग ने अपने आदेश के तहत यह कार्रवाई की है। जिन दलों के खिलाफ कार्रवाई की है, वे साल 2019 से लगातार छह सालों तक कोई चुनाव नहीं लड़े हैं. इन्होंने ना तो विधानसभा का चुनाव लड़ा है और ना ही लोकसभा का. ऐसे अब इन दलों को वे लाभ नहीं मिलेंगे तो रजिस्टर्ड राजनीतिक दल को मिलते हैं, इसके साथ ही ये कानूनी और वित्तीय लाभ से वंचित रहेंगे.

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कहां की, कितनी पार्टियों पर हुआ एक्शन?

हालांकि चुनाव आयोग ने सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के कई राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द की है. 18 सितंबर को उत्तर प्रदेश (121), महाराष्ट्र (44), तमिलनाडु (42), दिल्ली (40), पंजाब (21), मध्य प्रदेश (23), बिहार (15) और आंध्र प्रदेश (17) के दलों को हटाया गया है.

इस प्रक्रिया के पहले चरण में पिछले महीने 334 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूची से हटा दिया था. पिछले दो महीनों में 808 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूची से हटा दिया गया. आयोग ने बताया कि 359 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की पहचान की गई है, जिन्होंने पिछले तीन वित्तीय वर्षों में निर्धारित समय सीमा के भीतर ऑडिट नहीं कराये और उसकी रिपोर्ट जमा नहीं किए हैं.

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चुनाव आयोग ने यह कदम तब उठाया गया जब दलों के संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन कार्यालयों की तरफ से नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया था, और एक अवसर भी दिया गया कि जरूर दस्तावेज जामा करें. इसके बाद जो रिपोर्ट तैयार हुई, उसके आधार पर यह फैसला लिया गया है.

First published on: Sep 19, 2025 09:16 PM

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