विमल मिश्रा, आगरा
आगरा का शाहजहां गार्डन अब नया नाम पाने जा रहा है। सरकार इसे वीरांगना अहिल्याबाई होल्कर गार्डन नाम देने की तैयारी कर रही है। कुछ लोग इसे सम्मान की बात मान रहे हैं तो कुछ इसे इतिहास से छेड़छाड़ कह रहे हैं। इस फैसले पर राजनीति भी गरमा गई है। कांग्रेस ने विरोध किया है तो दूसरी ओर कई लोग इसे सही बता रहे हैं। यह सिर्फ नाम बदलने का मामला नहीं है, बल्कि यह सवाल भी है कि हमारी विरासत और परंपराओं का क्या होगा? क्या यह बदलाव जरूरी है या फिर यह सिर्फ राजनीति का हिस्सा है?
शाहजहां गार्डन का नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू
आगरा के ऐतिहासिक शाहजहां गार्डन का नाम बदलने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार में हलचल तेज हो गई है। इसे वीरांगना अहिल्याबाई होल्कर गार्डन नाम देने के लिए लखनऊ में कार्यवाही शुरू हो चुकी है। उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य ने इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा था, जिसे अब मुख्य सचिव कार्यालय को भेज दिया गया है। माना जा रहा है कि जल्द ही इस गार्डन का नाम बदला जा सकता है। सामाजिक संगठनों ने भी सरकार से इस गार्डन का नाम बदलने की मांग की थी जिसके बाद मंत्री ने इसकी सिफारिश की थी। यह गार्डन ताजमहल के नजदीक स्थित है और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
अहिल्याबाई होल्कर का ऐतिहासिक योगदान
रानी अहिल्याबाई होल्कर 18वीं सदी की एक महान शासक और साहसी महिला थीं। वे अपने न्यायप्रिय शासन और धार्मिक स्थलों के निर्माण के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने कई मंदिर और धर्मस्थल बनवाए और अपने राज्य को मजबूत किया। इंदौर की महारानी के रूप में उन्हें महिला सशक्तीकरण का प्रतीक भी माना जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए, शाहजहां गार्डन का नाम उनके सम्मान में रखने की पहल की जा रही है। इस गार्डन का इतिहास भी काफी पुराना है। ब्रिटिश शासन के समय इसे “विक्टोरिया गार्डन” कहा जाता था और यहां रानी विक्टोरिया की प्रतिमा लगी थी, जिसे बाद में हटा दिया गया। अब यह शाहजहां गार्डन के नाम से जाना जाता है।
राजनीति भी गरमाई, कांग्रेस ने किया विरोध
गार्डन का नाम बदलने के फैसले को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है। कांग्रेस ने इस फैसले का विरोध किया है। कांग्रेस प्रवक्ता अमित शिवहरे का कहना है कि इस गार्डन में पंडित मोतीलाल नेहरू की विशाल प्रतिमा स्थापित है और इसका उद्घाटन तत्कालीन रक्षा मंत्री यशवंत राव चव्हाण ने किया था। उन्होंने दावा किया कि 1970 के दशक में ही इस गार्डन का नाम पंडित मोतीलाल नेहरू के नाम पर रखा जा चुका है। ऐसे में अब इसका नाम बदलना इतिहास के साथ छेड़छाड़ होगा। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि नाम बदलने के बजाय सरकार को शहर के विकास कार्यों पर ध्यान देना चाहिए।
पहले भी नाम बदलने को लेकर गरमाई है राजनीति
उत्तर प्रदेश में नाम बदलने की राजनीति पहले भी चर्चा में रही है। हाल ही में कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य ने मुख्यमंत्री को बिजलीघर मेट्रो स्टेशन का नाम डॉ. भीमराव आंबेडकर के नाम पर रखने के लिए भी पत्र लिखा था। इससे पहले कई स्थानों के नाम बदले जा चुके हैं, जैसे इलाहाबाद को प्रयागराज, फैजाबाद को अयोध्या और मुगलसराय स्टेशन को दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन किया गया था। अब शाहजहां गार्डन के नामकरण को लेकर नई बहस छिड़ गई है। देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या फैसला लेती है और क्या सच में इसका नाम वीरांगना अहिल्याबाई होल्कर गार्डन हो जाता है।