नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने घोषणा की है कि वह अपनी लंबित मांगों के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए गुरुवार से लखीमपुर खीरी में 75 घंटे का धरना शुरू कर रहा है। एसकेएम 40 कृषि संगठन वाला एक छत्र किसान समूह है, जो मुख्य रूप से फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के उचित कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं।
इससे पहले 31 जुलाई को पंजाब के किसानों ने अमृतसर, बठिंडा के वल्लाह में रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया था और अपनी मांगों को पूरा नहीं करने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ अंबाला, पंचकूला के बरवाला और कैथल के चीका में शंभू टोल प्लाजा पर विरोध प्रदर्शन किया था।
बता दें कि धरने के लिए किसानों ने लखीमपुर खीरी को चुना है, जहां पिछले साल कुछ किसानों को कार से रौंद दिया गया था। घटना के लिए स्थानीय किसानों ने केंद्रीय मंत्री और उनके बेटे आशीष मिश्रा को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया था, जिसमें चार किसानों, एक स्थानीय पत्रकार और अन्य सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी।
14 दिसंबर को एसकेएम ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष इस घटना को ‘पूर्ववर्ती योजनाबद्ध साजिश’ करार दिए जाने के बाद केंद्र से गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री (एमओएस) अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने और गिरफ्तार करने की मांग उठाई थी।
इस तथ्य का हवाला देते हुए कि एसआईटी ने मौजूदा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 279, 338, 304 ए को हटाने की सिफारिश की और 13 आरोपियों पर धारा 307, 326, 34 और आर्म्स एक्ट की धारा 3, 25 और 30 लगाने की सिफारिश की है। एसकेएम ने दावा किया कि, “एसआईटी की जांच संयुक्त किसान मोर्चा और प्रदर्शन कर रहे किसानों के रुख की पुष्टि करती है कि लखीमपुर खीरी कांड एक पूर्व नियोजित नरसंहार था।”
एसकेएम ने केंद्र से मंत्री को कथित सुरक्षा प्रदान करना बंद करने का आग्रह किया और उनकी बर्खास्तगी और गिरफ्तारी की अपनी मांग दोहराई।