Rajasthan Politics: दिल्ली सिर्फ दूर ही नहीं दमदार भी है। राजस्थान की राजनीति में दिल्ली आलाकमान का दखल अशोक गहलोत और सचिन पायलेट विवाद पर भी दमदार रहा। पिछले तीन दिनों से पायलट के अनशन के बाद राजस्थान की राजनीति में आया उबाल आलाकमान से वार्ता करने के बाद एकदम से ठंडा हो गया।
बताया जा रहा है कि मामले पर पहले कांग्रेस के राष्ट्रिय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और अन्य लोगों के साथ वार्ता हुई, लेकिन राहुल और प्रियंका के दखल के बाद रंधावा के तीखे तेवर ढीले पढ़ गए।
रंधावा ने कहा था- राजस्थान को पंजाब नहीं बनने देंगे
गौरतलब है की पायलट के अनशन को रंधावा ने पार्टी विरोधी गतिविधि करार दिया था। उन्होंने कहा था कि राजस्थान को पंजाब नहीं बनने दिया जाएगा और अब कार्रवाई होगी। मेरे से पहले जो हुआ उनमें कार्रवाई कई बार होनी चाहिए थी, लेकिन अब होगी। फिलहाल अब मामले पर पार्टी के किसी भी खेमे से आवाजें आना बंद हो गई हैं। सचिन पायलट प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में दौरे का रूट प्लान बना चुके हैं। मतलब साफ है कि पायलट के जिन राजनीति जहाज के क्रैश होने का अंदेशा जताया जा रहा था, वो फिर से उड़ान भरने लगा है।
गहलोत ने पायलट के खिलाफ एक शब्द नहीं निकला
अशोक गहलोत से पत्रकारों ने बार बार सचिन पायलट के अनशन को लेकर सवाल किया, लेकिन सीएम की जबान से एक शब्द भी नही निकला। बस कहते रहे कि महंगाई रहत कैम्प लगायेंगे। इधर भले ही गहलोत महंगाई राहत कैम्प की बात कर रहे थे, उधर दिल्ली ने मामले को लेकर जैसे सचिन पायलट को राहत दे दी थी। मामला जिस सरगर्मी के साथ उठा था, उसी तेजी के साथ ठंडा भी पड़ गया। हालांकि रंधावा के तेवर शुरू से ही काफी तीखे थे, जिसके बाद ना केवल सचिन पायलट बल्कि पिछले साल 25 सितम्बर को गहलोत में समार्थन में सामानांतर विधायक दल की बैठक बुलाने वाले 3 नेताओं पर भी कारवाई की बात सामने आने लगी थी। और खुद रंधावा ने तो यहां तक कह दिया था की वे राजस्थान को पंजाब नहीं बनने देंगे।
तो आगे तक खिंचेगा मामला
कहा जा रहा है की महाराष्ट्र में शरद पवार, बंगाल में ममता बनर्जी और आन्ध्र प्रदेश के जगन मोहन रेड्डी के साथ हुई गलतियों को आलाकमान राजस्थान में अब दोहराने के मूड में नहीं है। यही कारण है कि सचिन पायलट के मामले में दो दिन तक चली कांग्रेस ने बड़े नेताओं की मैराथन बैठक के बाद कांग्रेस ने अब रणनीति बदलते हुए मामले को ही डिले में बदलने का खाका तैयार कर लिया है। बीच का रास्ता निकालने के लिए फैसला लेने में देरी पहली रणनीति है। यानी की प्रभारी सुखजिंदर रंधावा और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने राहुल गांधी से राजस्थान को लेकर चर्चा के बाद अब इस मसले को आगे खींचने के लिए तय हुआ। अभी कई बैठकों के दौर भी चलेंगे, लेकिन एक लाइन तय कर दी गई है, जिसके आधार पर ही आगे बढ़ा जाएगा।
प्रियंका के समझाने पर माने पायलट
वैसे आनन फानन में अपनी ही सरकार और उसमे मुखिया के खिलाफ बयान देकर अनशन पर बैठने वाले सचिन पायलट ने भी प्रियंका गांधी के समझाने पर अपने तीखे तेवर ढीले कर लिए हैं। इसी कारण उन्होंने गहलोत की बजाय अनशन के बाद BJP को निशाने पर लिया और BJP राज के करप्शन पर ही सवाल उठाए।
17 अप्रैल से फील्ड पर उतरेंगे सचिन
अब सचिन पायलट 17 अप्रैल से फिर से फील्ड में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। 17 अप्रैल से सचिन पायलट कि फील्ड के दौरों के कार्यक्रम बन गए हैं। 17 अप्रैल को 11 बजे पायलट शाहपुरा के खोरी में परमानंद धाम के कार्यक्रम में शामिल होंगे। पायलट इसके बाद खेतड़ी के टीबा बसई गांव में शहीद की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। यहां पायलट सभा भी करेंगे। इसके बाद पायलट के और जिलों में भी सभाओं के कार्यक्रम फाइनल किए जा रहे हैं।
तो क्या देखने को मिलेगा नया शो?
पायलट के फील्ड में उतरकर सभा करने के भी सियासी मायने हैं। इन सभाओं के जरिए पायलट आगे की सियासी लाइन के बारे में समर्थकों और जनता को संकेत देंगे। हालांकि अक्सर खामोशी को तूफान से पहले का अंदेशा कहा जाता है। ऐसे में पार्टी का यह ठंडापन कहीं पायलट की उड़ान में तूफान ना बन जाए। लेकिन फिलहाल पार्टी भी रहत की सांस लिए बैठी है और गहलोत जादूगरी के किसी नए शो का इंतजार कर रहे हैं। देखना होगा की राजस्थान की राजनीति में जल्दी ही नया शो देखने को मिलेगा या फिर नई राजनीतिक उड़ान।
जयपुर से केजे श्रीवत्सन की रिपोर्ट।
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