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जोधपुर में गजेंद्र सिंह शेखावत से क्यों रूठे हैं ‘राजपूत’ वोटर्स, बाहरी बनाम स्थानीय का मुद्दा हावी

Rajasthan Lok Sabha Election: जोधपुर पूर्व सीएम अशोक गहलोत का गृह जिला है। लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव प्रचार से वे पूरी तरह गायब है। उन्होंने अपना पूरा जोर बेटे वैभव गहलोत की सीट जालौर-सिरोही पर लगाया हुआ है। इस बात की चर्चा भी लोगों के बीच है।

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Apr 24, 2024 13:39
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Rajasthan Lok Sabha Election 2024 Jodhpur seat
जोधपुर से आमने-सामने गजेंद्र सिंह और करण सिंह

Rajasthan Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण में राजस्थान की 12 सीटों पर मतदान होना है। वहीं चुनाव के लिए प्रचार का शोर आज शाम 5 बजे थम जाएगा। इसके बाद प्रत्याशी डोर-टू-डोर संपर्क कर सकेंगे। भाजपा ने इस सीट से गजेंद्र सिंह शेखावत को तीसरी बार मौका दिया है। वहीं कांग्रेस ने इस बार स्थानीय प्रत्याशी और मजबूत राजपूत चेहरे पर दांव खेला है। पार्टी ने करण सिंह उचियारड़ा को प्रत्याशी बनाया है। कुल मिलाकर इस बार जोधपुर में जंग राजपूत बनाम राजपूत की है।

कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव में तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को मैदान में उतारा था उस समय प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में माहौल भी था क्योंकि पार्टी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। इसके साथ ही जोधपुर अशोक गहलोत का गृह जिला भी था। माली और मुस्लिम वोट बैंक भी बहुतायत में था। कुल मिलाकर सब कुछ ठीक था इसके बावजूद वैभव गहलोत 2.50 लाख से अधिक मतों से चुनाव हार गए। ऐसे में इस बार कांग्रेस ने गजेंद्र सिंह शेखावत के सामने राजपूत प्रत्याशी करण सिंह को उतारा। ऐसे में इस बार का मुकाबला राजपूत बनाम राजपूत हुआ है।

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दो विधायकों ने खुलकर किया था विरोध

सियासी रणनीतिकारों की मानें तो पोकरण, शेरगढ़ और उसके आसपास के गांवों के राजपूत गजेंद्र सिंह से नाराज चल रहे हैं। इसे 2 उदाहरणों से समझते हैं। पहला विधानसभा चुनाव 2023 के प्रचार के दौरान पोकरण सीट से बीजेपी प्रत्याशी प्रताप पुरी जी महाराज ने ऐसा कुछ कहा जिसके बाद सभी लोग जान गए कि वे गजेंद्र सिंह पर ही निशाना साध रहे थे। वहीं दूसरा उदाहरण बाबू सिंह राठौड़ से जुड़ा है। पहले तो विधानसभा चुनाव के दौरान उनको टिकट देर से मिला इसके बाद जब वे जीतकर विधायक बन गए तो उनके मंत्री बनने की राह में रोड़े अटाकाए गए। इसके बाद लोकसभा चुनाव में जब गजेंद्र सिंह के नाम का ऐलान हुआ तो राठौड़ बिफर गए और विकास कार्यों के आधार पर शेखावत पर निशाना साधना शुरू कर दिया।

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जानें राजपूत शेखावत से क्यों नाराज हैं?

ऐसे में जोधपुर की इस सीट पर पिछले 6 महीने में काफी कुछ हुआ है, लेकिन इसकी पटकथा तो बहुत पहले ही लिख दी गई थी। वजह थी बाबूसिंह का वसुंधरा गुट से होना। कुल मिलाकर अगर भाजपा यहां पर मात खाती है तो भीतरघात ही सबसे बड़ा कारण होगा। हालांकि राजपूत वोट बैंक भाजपा का परंपरागत वोट बैंक रहा है लेकिन कई बार वोटर्स प्रत्याशियों के साथ भावनात्मक रूप से भी जुड़े होते हैं। ऐसे में यह अंदाज लगाना मुश्किल है कि राजपूत किस ओर जाएंगे। वैसे सियासी रणनीतिकार तो उन्हें भाजपा के पक्ष में मानकर चल रहे हैं।

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करण सिंह उछाल रहे बाहरी बनाम स्थानीय का मुद्दा

कांग्रेस प्रत्याशी करण सिंह पिछले काफी समय राजपूत महासभा के अध्यक्ष हैं। ऐसे में वे भी राजपूत समाज से वोट की आस लगाए बैठे हैं। वे चुनावी बैठकों में गजेंद्र सिंह को बाहरी प्रत्याशी बता रहे हैं। दरअसल गजेंद्र सिंह रहते तो काफी समय से जोधपुर में ही है लेकिन उनका पैतृक गांव सीकर में हैं। ऐसे में जोधपुर में इस बार का चुनाव स्थानीय बनाम बाहरी का भी है। करण सिंह को जोधपुर देहात और शहर में यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वे 10 साल बाहरी प्रत्याशी को मौका दे चुके हैं एक बार स्थानीय प्रत्याशी को मौका देकर देखें।

अपने ही मंत्रालय के काम नहीं गिना पा रहे शेखावत

वहीं गजेंद्र सिंह शेखावत मोदी सरकार की नीतियों, राम मंदिर, धारा 370, सीएए और अन्य मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं। यह भी एक विडंबना है कि शेखावत के स्वयं के मंत्रालय की नल-जल योजना से भी लोगों को ज्यादा लाभ नहीं मिल पाया है। कहीं घरों तक नल पहुंच गए हैं लेकिन उनमें पानी नहीं आ रहा है। हालांकि राजनीति के जानकार तो यहीं कह रहे हैं कि शेखावत पिछली बार की तरह इस बार भारी मतों से जीतकर लोकसभा पहुंचेंगे।

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राजपूत वोट बैंक निर्णायक

बात करें जातीय समीकरणों की तो जोधपुर राजपूत बाहुल्य सीट है। इस सीट पर राजपूत वोट निर्णायक होते हैं। जोधपुर सीट पर राजपूत वोटर्स 4,40,000, 2,90,000 मुस्लिम वोटर्स, 1,40,000 ब्राह्मण वोटर्स, 1.40,000 मेघवाल वोटर्स, 1,80,000 बिश्नोई वोटर्स, 1,30,000 जाट वोटर्स, माली समुदाय के एक लाख वोटर्स और वैश्य समाज के 70 हजार वोटर्स है।

ओबीसी-सवर्ण भाजपा के परपंरागत वोट बैंक

राजपूत परंपरागत रूप से भाजपा के साथ रहे हैं। जाट वोटर्स भी बहुतायत में भाजपा को वोट देते रहे हैं। जब से मदेरणा परिवार रसातल में गया है उसके बाद से जाटों का पूरा समर्थन भाजपा को जा रहा है। जोधपुर का बिश्नोई वोटर्स भी भाजपा के साथ रहा है। ब्राह्मण और वैश्य भाजपा के परंपरागत वोट बैक रहे हैं। इसके अलावा एससी और एसटी के 4 लाख से अधिक मतदाता हैं। जो इस चुनाव में गजेंद्र सिंह की दशा और दिशा तय करेंगे। वहीं 4 लाख से अधिक ओबीसी वोट बैंक भी हैं। जो कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग करता आया है।

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Written By

Rakesh Choudhary

First published on: Apr 24, 2024 01:35 PM

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