---विज्ञापन---

Rajasthan Election 2023: मेवाड़ की विरासत और चेहरों की किल्लत से जूझती कांग्रेस-बीजेपी

डॉ. मीना शर्मा: राजस्थान का सियासी घमासान अब चरम पर है। सरकार के पांच साल पूरे होने में छह महीने बाकी हैं। लेकिन, प्रदेश में चुनावी बादल मानसून से पहले दस्तक दे चुके हैं। बीजेपी के चाणक्य और देश के गृहमंत्री 30 जून को मेवाड़ आ रहे हैं और प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने […]

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Jun 29, 2023 19:46
Share :

डॉ. मीना शर्मा: राजस्थान का सियासी घमासान अब चरम पर है। सरकार के पांच साल पूरे होने में छह महीने बाकी हैं। लेकिन, प्रदेश में चुनावी बादल मानसून से पहले दस्तक दे चुके हैं। बीजेपी के चाणक्य और देश के गृहमंत्री 30 जून को मेवाड़ आ रहे हैं और प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी संभाग के तूफानी दौरे किए हैं। अशोक गहलोत पिछले 15 दिन में मेवाड़ की 8 विधानसभाओं में गए हैं। ज़ाहिर है मेवाड़ की 28 विधानसभा सीट पर दोनों प्रमुख दलों की नजर है। 2018 के चुनाव से पहले उस वक्त की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी अपना चुनावी अभियान मेवाड़ की अजेय भूमि से ही शुरू किया था।

2018 में कांग्रेस को मेवाड़ में नहीं मिला बहुमत

2018 में बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह थे। उस वक्त राजस्थान बीजेपी में वसुंधरा राजे का विरोध शुरू हो चुका था। लेकिन, अमित शाह ने ही वसुंधरा की चुनावी यात्रा को हरी झंडी दिखायी थी। राजस्थान का इतिहास अब तक मेवाड़ के रास्ते सत्ता की कुर्सी की तरफ जाता था, लेकिन 2018 के चुनाव ने ये परिपाटी बदल दी। सरकार बनाने वाली कांग्रेस को मेवाड़ में बहुमत नहीं मिला था। परंपरागत रूप से कांग्रेस के गढ़ रहे मेवाड़ में आखिर कांग्रेस कमजोर कैसे हुई ? कांग्रेस के लिए ये मंथन का विषय है।

---विज्ञापन---

आदिवासी बहुल क्षेत्र है मेवाड़

दूसरी ओर गुजरात की सीमा से जुड़े मेवाड़ के रास्ते ‘मोदी शाह’ दिल्ली की दूरी कम करना चाहते हैं। प्रदेश में सरकार कांग्रेस की है, लेकिन आज भी 28 में से 15 सीट पर बीजेपी के विधायक हैं। मेवाड़ के 5 सांसद बीजेपी को संसद में मजबूती दिए हुए हैं। यही वजह है कि हाल ही प्रधानमंत्री मोदी दो बार मेवाड़ की धरती को नमन कर चुके हैं। आदिवासियों के धाम मानगढ़ पहुंचकर यहां की 16 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट साधने की कोशिश की गई। गोयाकि, यहां 72 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है।

सत्ता की चाबी मेवाड़ के पास

चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने मेवाड़ की प्रासंगिकता बरकरार रखने की कोशिश की, वहीं कांग्रेस में विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर डॉ. सीपी जोशी मेवाड़ की पहचान हैं। गौरतलब है कि राजस्थान में विधानसभा की 200 सीट है और सरकार बनाने वाले दल को 101 की जरूरत पड़ती है। ज़ाहिर है 28 सीट वाले मेवाड़ से सत्ता की चाबी सीधी जुड़ी है। 1952 के बाद 2018 में ऐसा पहली बार हुआ, जब मेवाड़ में बहुमत बीजेपी को मिला, लेकिन राज्य में सरकार कांग्रेस की बनी। 2018 में मेवाड़ की 28 सीट में से बीजेपी को 15, कांग्रेस को 10 और 3 अन्य को मिली। मारवाड़ से आने वाले अशोक गहलोत ने 2018 में निर्दलियों के सहयोग से सरकार बनाई।

---विज्ञापन---

2023 में किस करवट बैठेगा ऊंट

मेवाड़ के मतदाता और राजनीतिक विश्लेषकों के लिए सवाल यह है कि स्पष्ट बहुमत देने में विश्वास रखने वाला मेवाड़, 2023 में किसके साथ जाएगा। पिछले पांच चुनावों पर नजर डालें, तो 2013 के चुनाव में बीजेपी को 25 कांग्रेस को 2 और एक निर्दलीय के खाते में मेवाड़ की 28 सीट गईं। 2008 में कांग्रेस को 20 और बीजेपी अन्य को 8, 2003 में बीजेपी को 23 कांग्रेस को 7, वहीं 1998 में परिसीमन से पहले 30 सीट थी, जिसमें से कांग्रेस को 24 और बीजेपी अन्य को 6 सीट मिली।

30 साल तक मुख्यमंत्री की कुर्सी मेवाड़ का कब्जा

मेवाड़ की राजनीतिक विरासत को इस रूप में भी देखा जा सकता है कि राजस्थान में 1952 से आज तक 30 साल तक मुख्यमंत्री की कुर्सी मेवाड़ के कब्जे में रही है। चार बार मुख्यमंत्री बनने वाले मोहनलाल सुखाड़िया 17 साल तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। 3 बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने वाले हरिदेव जोशी लगभग 7 साल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। दो बार मुख्यमंत्री बने शिवचरण माथुर ने 5 साल प्रदेश पर राज किया।

मेवाड़ में कांग्रेस-बीजेपी के प्रभावी चेहरे

लेकिन 4 मार्च 1990 हरिदेव जोशी के कार्यकाल का आखिरी दिन था और तब से आज तक पिछले 33 साल से मेवाड़ उस चेहरे की तलाश में है, जो मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। कांग्रेस में सीपी जोशी मजबूत दावेदार थे, लेकिन एक वोट से उनकी हार ने 2008 में मेवाड़ को मुख्यमंत्री की गद्दी से दूर कर दिया। आज भी कांग्रेस का मेवाड़ में प्रभावी चेहरा सीपी जोशी का है, जिनकी पकड़ राजस्थान ही नहीं, बल्कि देश की राजनीति पर भी उतनी ही मजबूत है, जितनी प्रदेश की राजनीतिक गणित उनकी उंगलियों पर है।

चेहरों की कमी से जूझ रही दोनों पार्टियां

मेवाड़ से कांग्रेस के पास रघुवीर मीणा, महेंद्र जीत सिंह मालवीय जैसे नेता हैं, लेकिन उन्हें अपने क्षेत्र से बाहर मुश्किल ही कोई पहचानता हो। हालांकि, गिरिजा व्यास राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय रही हैं, लेकिन 75 की उम्र पार कर चुकी हैं। वहीं उदयपुर से बीजेपी के सबसे वरिष्ठ विधायक और नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया खुलकर बोल चुके थे कि राजनीति में उनकी आखिरी इच्छा मुख्यमंत्री बनने की है, लेकिन बीजेपी ने उन्हें असम के राजभवन भेज दिया। अब जयपुर से मेवाड़ लाई गईं राजसमंद सांसद दीया कुमारी और आदिवासियों के नाम पर कनकमल कटारा के सिवा बीजेपी के पास भी कोई चेहरा नहीं बचा है।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक अनंत मिश्रा का मानना है कि दोनों दलों की आंतरिक गुटबाजी का नतीजा है कि ‘मेवाड़ आज चेहरों की किल्लत से जूझ रहा है।‘ बीजेपी अध्यक्ष और चित्तौड़गढ़ के सांसद को राज्यव्यापी पहचान बनाने में अभी समय लगेगा। ऐसे में देश के गृहमंत्री अमित शाह की मेवाड़ यात्रा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के तूफानी दौरे दोनों दलों में उपजी चेहरों की किल्लत कैसे दूर करेंगे ?

HISTORY

Edited By

Rakesh Choudhary

First published on: Jun 29, 2023 03:28 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें