Rajasthan Election 2023: राजस्थान में मतदान के बाद हर कोई परिणाम के इंतजार में है। चुनाव परिणाम अन्य 4 राज्यों के साथ 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। ऐसे में इस बार हुए रिकाॅर्ड मतदान के बीच भाजपा और कांग्रेस अलग-अलग दावे कर रहे हैं। इस बार भाजपा और कांग्रेस के बागियों ने कई सीटों पर मुकाबले को रोचक बना दिया है। आइये जानते हैं ऐसी कौनसे उम्मीदवार हैं जिन्होंने भाजपा और कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। माना जा रहा है कि अगर हंग असेंबली बनती है तो ये निर्दलीय किंगमेकर बन सकते हैं।
रविंद्र सिंह भाटी, शिव
भाजपा ने इस बार बाड़मेर की शिव सीट से स्वरूप सिंह खारा को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने अमीन खान को प्रत्याशी बनाया। दोनों ही उम्मीदवारों के सामने मैदान में उतरे बागियों ने मुकाबले को पंचकोणीय बना दिया है। मतदान से कुछ दिन पहले ही भाजपा में युवा नेता रविंद्र सिंह भाटी ने खारा की मुश्किलें बढ़ा दी है। वहीं पार्टी के पूर्व विधायक जालम सिंह रावलोत भी आरएलपी के टिकट पर मैदान में हैं। ऐसे में जाट और राजपूत वोटर्स का बंटना तय है। वहीं कांग्रेस के अमीन खान के समक्ष फतेह खान भी बड़ी चुनौती बने हुए हैं। ऐसे में पहले भाजपा इस सीट पर अपनी जीत तय मान रही थी लेकिन अब पेच फंस गया है।
चंद्रभान सिंह आक्या
भाजपा ने चित्तौड़गढ़ सीट से मौजूदा विधायक चंद्रभान सिंह आक्या का टिकट काटकर पूर्व सीएम भैंरोसिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी को प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में मौजूदा विधाायक आक्या ने निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया। ऐसे में भाजपा की यह सुरक्षित सीट भी फसंती नजर आ रही है। यहां से कांग्रेस को जीत मिल सकती है।
बंशीधर बाजिया
भाजपा ने इस बार झुंझुनूं की खंडेला सीट से बंशीधर बाजिया की जगह सुभाष मील को प्रत्याशी बना दिया। ऐसे में बंशीधर ने निर्दलीय ताल ठोक दी। वहीं कांग्रेस ने महादेव सिंह खंडेला को उम्मीदवार बनाया है। खंडेला इस सीट से मौजूदा विधायक भी है। ऐसे में यह सीट भी भाजपा के खाते में जा सकती है।
यूनुस खान
नागौर की डीडवाना सीट भी भाजपा के लिए चुनौती बन गई है। भाजपा ने इस बार डीडवाना ने उनकी जगह पर जितेंद्र सिंह जोधा को प्रत्याशी बना दिया। ऐसे में नाराज यूनुस खान ने भाजपा से इस्तीफा देकर निर्दलीय नामांकन भर दिया। इससे पहले पार्टी ने 2018 में उन्हें सचिन पायलट के सामने उम्मीदवार बनाया था। लेकिन वे 50 हजार मतों से चुनाव हार गए थे। ऐसे में वे इस बार डीडवाना से टिकट मांग रहे थे।
कैलाश मेघवाल
भीलवाड़ा की शाहपुरा सीट से भाजपा ने इस बार बेरोजगारों के नेता उपेन यादव को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट से अब तक कैलाश मेघवाल चुनाव लड़ते आए हैं लेकिन पार्टी ने इस बार उनका टिकट काटकर उपेन यादव को प्रत्याशी बना दिया। ऐसे में यह सीट भी भाजपा के हाथ से निकल सकती है। क्योंकि मेघवाल के बागी होने से भाजपा के वोटों का बंटवारा तय है।
रामचंद्र सुनारीवाल
झालावाड़ की डग सीट से पूर्व विधायक रामचंद्र सुनारीवाल भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत बन गए हैं। सुनारीवाल ने 2013 में इस सीट से चुनाव लड़ा और विधायक बने। इसके बाद पार्टी ने 2018 में उनका टिकट काट किसी और को दे दिया लेकिन जब इस बार उन्हें टिकट नहीं मिला तो वे बागी होकर मैदान में उतर गए। ऐसे में यहां भाजपा के वोटों का बंटवारा होना तय है।
जीवाराम चौधरी
जालौर-सिरोही से सांसद देवजी पटेल को पार्टी ने सांचौर से मैदान में उतारा है। यहां पार्टी दो भीतरघातियों से परेशान हैं। इस सीट से दानाराम चौधरी और जीवाराम चौधरी बारी-बारी से चुनाव लड़ते आए हैं ऐसे में इस बार जब पार्टी ने सांसद को प्रत्याशी बनाया तो नाराज जीवाराम ने निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया। हालांकि पार्टी ने पिछली बार दानाराम को प्रत्याशी बनाया था। वहीं दानाराम ने भी जीवाराम को समर्थन देने का फैसला किया है। इस सीट से कांग्रेस ने मंत्री सुखराम विश्नोई को उम्मीदवार बनाया है। सुखराम इस सीट से पिछली 2 बार से जीत रहे हैं।