Rajasthan Assembly Election 2023 Bharatpur Raja Man Singh Story: राजस्थान में एक राजा ऐसे थे जो 7 बार निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते। इनका दबदबा ऐसा था कि जेपी आंदोलन और इंदिरा की आंधी में ये चुनाव जीते। फिर ऐसा क्या हुआ कि राजस्थान पुलिस को इनका एनकाउंटर करना पड़ा। राजस्थान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि पुलिस ने किसी विधायक का एनकांउटर किया और इसके बाद तत्कालीन सीएम शिवचरण माथुर को पद से इस्तीफा देना पड़ गया।
यह था समझौता
सियासी किस्सों में आज बात भरतपुर के राजा मानसिंह जाट की। 20 फरवरी 1985 को देश में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनकी सहानुभूति लहर चल रही थी। ऐसे में राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव होने थे और कांग्रेस इंदिरा की सहानुभूति लहर का हिस्सा बनकर सत्ता में वापसी करना चाहती थी। ऐसे में कांग्रेस ने उन सीटों को भी जीतना चाहती थी जहां वो कभी भी जीत नहीं सकी। ऐसी ही एक सीट थी डीग भरतपुर के राजा मानसिंह के प्रभुत्व वाली। 1985 के चुनाव में कांग्रेस इस सीट को जीतना चाहती थी ऐसे में इस सीट पर चुनाव प्रचार करने के लिए तत्कालीन सीएम शिवचरण माथुर डीग पहुंचे।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उतार दिया रियासत का झंडा
सीएम माथुर यहां कांग्रेस के उम्मीदवार बृजेंद्र सिंह के समर्थन में रैली करने पहुंचे। जानकारी के अनुसार कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने डीग के किले पर लगे रियासत के झंडे को उतार कर कांग्रेस का झंडा लगा दिया। जैसे ही यह खबर मानसिंह तक पहुंची तो वे नाराज हो गए और गाड़ी लेकर शिवचरण माथुर की सभा में पहुंचे। यहां उन्होंने सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए अपनी गाड़ी से सीएम के हेलीकाॅप्टर को टक्कर मार दी। इसके बाद वे मंच पर चढ़े और जमकर तांडव मचाया।
जानकारी के अनुसार मानसिंह और कांग्रेस के बीच एक समझौता हो रखा था इसके अनुसार कांग्रेस कभी भी डीग सीट पर उनके सामने उम्मीदवार नहीं उतारेगी। और उतारेगी तो कोई बड़ा नेता प्रचार करने नहीं जाएगा। लेकिन 1985 के चुनाव में पूर्व सीएम बृजेंद्र सिंह को चुनावी मैदान में उतार दिया। और सीएम प्रचार करने भी पहुंच गए। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने झंडा उतारकर आग में घी डालने का काम किया।
डिप्टी एसपी ने अनाज मंडी में किया एनकाउंटर
21 फरवरी को मानसिंह अपने सामान्य दिनों की तरह ही घर से निकल रहे थे। सीएम के ऊपर हमला करने के आरोप में उन पर मामला दर्ज कर लिया गया। वहीं सीएम ने भी मानसिंह के एनकाउंटर के लिए कह दिया था। ऐसे में जब राजा मानसिंह घर से जा रहे थे तो घर के अन्य सदस्यों ने उनको रोका पर वे नहीं रूके। मानसिंह डीग की अनाज मंडी पहुंचे। तभी पुलिस ने अपनी गाड़ी मानसिंह के आगे लगा दी। मौके पर मौजूद डिप्टी एसपी कानसिंह भाटी और अन्य पुलिसकर्मियों ने गाड़ी को घेरकर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। जिसमें मानसिंह और उनके साथ बैठे समरसिंह की मौके पर ही मौत हो गई।
इस घटना का प्रभाव ऐसा हुआ कि भरतपुर और धौलपुर के जाट कांग्रेस के खिलाफ हो गए। यही कारण है कि कांग्रेस को आज भी इन जिलों में जीतने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। वहीं इस घटना के 2 दिन बाद यानी 23 फरवरी 1985 को सीएम शिवचरण माथुर को इस्तीफा देना पड़ गया।