PM Modi Mangarh Dham Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार सुबह राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम पहुंचे। पीएम मोदी यहां ‘मानगढ़ धाम की गौरव गाथा’ कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आए थे। यहां पहुंचकर सबसे पहले उन्होंने गोविंद गुरू की प्रतिमा और 109 साल पहले यहां शहीद हुए 1500 आदिवासियों को पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने धूणी पर पहुंचकर पूजन किया और आरती भी उतारी। वहीं पीएम मोदी ने मानगढ़ धाम को फिलहाल राष्ट्रीय स्मारक बनाने की घोषणा नहीं की है।
इस जन समारोह में प्रधानमंत्री के साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गुजरात के मुख्यमंत्रियों भूपेंद्र पटेल भी मौजूद रहे।
इस दौरान एक जनसभा को संबोधित करते हुए PM ने कहा कि आजादी के ‘अमृत महोत्सव’ में हम सभी का मानगढ़ धाम आना, ये हम सभी के लिए प्रेरक और सुखद है। मानगढ़ धाम त्याग, तपस्या और समर्पण की प्रतीक है। ये राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के लोगों की साझी विरासत है। दो दिन पहले यानि 30 अक्टूबर को गोविंद गुरु की पुण्यतिथि थी। मैं सभी देशवासियों की तरफ से गोविंद गुरु जी को पुन: श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
उन्होंने कहा कि गोविंद गुरू जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी भारत की परंपराओं और आदर्शों के प्रतिनिधि थे। वह किसी रियासत के राजा नहीं थे लेकिन वह लाखों आदिवासियों के नायक थे। अपने जीवन में उन्होंने अपना परिवार खो दिया लेकिन हौसला कभी नहीं खोया।
The struggle & sacrifice of tribal community didn't get their rightful place in history written after independence. Today, the country is rectifying that decades-old mistake. India's past, present & future is not complete without the tribal community: PM in Banswara, Rajasthan pic.twitter.com/wp3ieOJxrQ
— ANI (@ANI) November 1, 2022
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से पहले आदिवासी समाज ने आजादी का बिगुल फूंका था और हम आदिवासी समाज के योगदानों के आज भी कर्जदार हैं। पीएम ने कहा कि भारत के चरित्र को सहेजने वाला आदिवासी समाज ही है।
मानगढ़ धाम की गौरव गाथा कार्यक्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की उपस्थिति की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि सीएम के नाते हमने साथ-साथ काम किया। अशोक गहलोत हमारी जमात में सबसे सीनियर थे। अभी भी जो हम मंच पर बैठे हैं, उनमें अशोक गहलोत सबसे सीनियर सीएम हैं।
इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि 17 नवंबर 1913 को मानगढ़ में जो नरसंहार हुआ। वो अंग्रेजी हुकुमत के अत्याचार की पराकाष्ठा थी। अंग्रेजों ने डेढ़ हजार से ज्यादा महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को घेरकर मौत के घाट उतार दिया। लेकिन आदिवासी समाज के उस बलिदान और संघर्ष को इतिहास में जगह नहीं दी गई। आजादी के बाद लिखे गए इतिहास में उनके संघर्ष को भुला दिया गया। आदिवासियों के संघर्ष के बिना भारत का इतिहास पूरा नहीं हो सकता।
आगे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मानगढ़ धाम को भव्य बनाने की इच्छा सबकी है। मप्र, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र आपस में चर्चा कर एक विस्तृत प्लान तैयार करें और मानगढ़ धाम के विकास की रूपरेखा तैयार करें। चार राज्य और भारत सरकार मिलकर इसे नई ऊंचाईयों पर ले जाएंगे। नाम भले ही राष्ट्रीय स्मारक दे देंगे या कोई और नाम दे देंगे।
वहीं सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चाौहान ने कहा कि देश को आजादी चांदी की तश्तरी में रखकर नहीं मिली है, हमनें आदिवासियों के बलिदान को भुला दिया था लेकिन मोदी सरकार ने उन्हें नमन करने का अभियान चलाया है। वहीं गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि 17 नवंबर 1913 का काला दिन कोई नहीं भूल सकता और आदिवासियों को विकास की मुख्य धारा में लाने का प्रयास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं।