भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव का असर अब आम लोगों की जिंदगी पर पड़ रहा है। दोनों देशों ने एक-दूसरे के नागरिकों को देश छोड़ने के आदेश दे दिए हैं। लेकिन ये आदेश उन पाकिस्तानी हिंदू विस्थापितों के लिए मुश्किल बन गया है, जो पाकिस्तान से भारत शांति और सम्मान की तलाश में आए थे। खासकर पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों के लिए ये आदेश अब दुख का सबब बनता जा रहा है।
जयपुर में रहने वाली 23 साल की शम्मो जब अपने पति के साथ 1 साल पहले पाकिस्तान से जयपुर रहने आ गई थी तब उसे उम्मीद थी कि उसकी जिंदगी में सब कुछ अच्छा हो जाएगा। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं को दी जा रही यातनाओं और अपने बच्चों के भविष्य की चिंता उन्हें सताने लगी थी और इसी कारण वह हिंदू शरणार्थी के रूप में यहां आ भी गई। लेकिन पहलगाम की घटना के बाद अब दोनों देशों के बीच जिस तरह के हालात बने हैं अब अपने तीन छोटे बच्चों के साथ अकेली हैं और उनके पति सांवलराम पाकिस्तान में फंसे हुए हैं। दरअसल, सांवलराम अपने पिता के इलाज के लिए नूरी वीजा पर एक महीने के लिए पाकिस्तान गए थे। 29 मार्च को उनकी वापसी होनी थी। लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच वीजा सेवाएं बंद होने के बाद वे वहीं फंस गए हैं।
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खुद कर रही बच्चों की देखभाल
शम्मो के पति एक महीने में वापस आने वाले थे, मगर अब उन्हें 8-10 महीने लग सकते हैं। इस वक्त वह बच्चों की देखभाल खुद कर रही हैं। बता दें, शम्मो और सांवलराम की शादी साल 2016 में हुई थी। लेकिन अब दोनों अलग-अलग देशों में मजबूर हैं। एक-दूसरे से मिलने तक की कोई उम्मीद नहीं है।
शम्मो अपने बच्चों के साथ, घर की हालत
पाकिस्तान में उनके जैसे हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और हालातों से परेशान होकर जयपुर में सिलाई का काम करने वाले सांवलराम अपने तीनों भाई और परिवार के साथ यहां आ गए थे। अब उनके साथ रहने वाले उनके छोटे भाई कृष्णाराम अपने भाई और उनके साथ इलाज के लिए गए पिता को लेकर काफी परेशान हैं। पाकिस्तान सरकार अब उन्हें ‘अपना नागरिक’ मानते हुए भारत लौटने की इजाजत नहीं दे रही है। वहीं, जयपुर में उनका पूरा परिवार बेसब्री से उनकी वापसी का इंतजार कर रहा है।
अब क्या करेंगे?
दरअसल, नूरी वीजा उन लोगों को दिया जाता है जो लॉन्ग टर्म वीजा पर भारत में रह रहे हैं लेकिन किसी मजबूरी या निजी काम से पाकिस्तान जाना चाहते हैं। पर अब ये वीजा ही एक जाल बन गया है। अब शम्मो के पति वहां से कब आएंगे, इसका कोई अता-पता नहीं है।
आम लोगों पर असर
भारत और पाकिस्तान की राजनीति में उलझकर आम लोगों की जिंदगी जैसे थम सी गई है। जब तक हालात सामान्य नहीं होते, तब तक न जाने कितने परिवार ऐसे ही बिछड़ते रहेंगे। उससे भी बड़ा सवाल तो यह है कि आम इंसान सिर्फ शांति चाहता है, लेकिन जब देश की सीमाएं रिश्तों से ऊपर हो जाएं, तो सबसे ज्यादा नुकसान मासूमों का होता है। ऐसे में केवल दुआ की जा सकती है कि जल्द हालात सुधरें और ये बिछड़े हुए परिवार एक बार फिर साथ आ सकें।
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