---विज्ञापन---

राजस्थान

‘जब पद की गरिमा… तो यह लोकतंत्र के लिए घातक’, PCC चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने प्राक्कलन समिति से दिया इस्तीफा

Govind Singh Dotasara: पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने राजस्थान विधानसभा की प्राक्कलन समिति 'ख' के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी पर पक्षपात और मनमाने तरीके संविधान के नियमों के उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।

Author Edited By : Satyadev Kumar Updated: May 19, 2025 18:38
Govind Singh Dotasara, Rajasthan Assembly।
पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने विधानसभा की प्राक्कलन समिति 'ख' के सदस्य पद से दिया इस्तीफा।

राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और लक्ष्मणगढ़ से विधायक गोविंद सिंह डोटासरा से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। गोविंद सिंह डोटासरा ने राजस्थान विधानसभा की प्राक्कलन समिति ‘ख’ के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया है। इसकी जानकारी उन्होंने खुद अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर पोस्ट लिखकर दी है। जानकारी के मुताबिक, भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा को 3 साल की सजा मिलने के बाद भी जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी द्वारा उनकी सदस्यता समाप्त नहीं किए जाने के विरोध में गोविंद सिंह डोटासरा ने इस्तीफा दिया है। बता दें कि अंता विधानसभा से भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा को एक एसडीएम पर तमंचा तानने और सरकारी काम में बाधा उत्पन्न करने के एक मामले में कोर्ट ने 3 साल की सजा सुनाई थी और हाई कोर्ट ने भी उन्हें सरेंडर करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट से भी कंवर लाल मीणा को कोई राहत नहीं मिली, जिसके बाद कांग्रेस लगातार उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग कर रही है।

क्या कहा गोविंद सिंह डोटासरा ने?

राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि ‘राजस्थान विधानसभा की प्राक्कलन समिति ‘ख’ के सदस्य पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं।’ साथ ही उन्होंने कहा, प्रजातंत्र में संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति की निष्पक्षता सर्वोच्च होती है, लेकिन जब निर्णय पद की गरिमा की विपरित और पक्षपातपूर्ण प्रतीत हों तो यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए घातक है।

---विज्ञापन---

‘निष्पक्षता पर चुप रहना जनादेश का अपमान’

गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष के हालिया निर्णय संविधान की मूल आत्मा के विरूद्ध एवं पूर्णतः पक्षपातपूर्ण प्रवृत्तियों को उजागर करते हैं। लोकतंत्र के मंदिर में जब निष्पक्षता सवालों के घेरे में हो, तब चुप रहना जनादेश का अपमान होता है। इसलिए इसका हम पुरजोर विरोध करते हैं और मैं प्राक्कलन समिति के सदस्य पद से त्यागपत्र देता हूं।

‘पक्षपात निर्णय देखने को मिला’

उन्होंने आगे कहा कि ‘समितियां सिर्फ सत्ता पक्ष की मुहर नहीं होतीं, इनमें संतुलित संवाद और निगरानी की भूमिका अहम होती है। कांग्रेस विधायक नरेंद्र बुड़ानिया को हाल ही में विशेषाधिकार समिति का अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन 15 दिन के भीतर उन्हें हटा दिया गया। विधानसभा अध्यक्ष का यह रवैया स्तब्ध करने वाला है, क्योंकि संभवत: ऐसी समितियों के अध्यक्ष न्यूनतम 1 वर्ष के लिए होते हैं। यह कोई पहला मौका नहीं है जब पक्षपात निर्णय देखने को मिला हो। हाल ही में हाईकोर्ट ने अंता से भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा की 3 साल की सजा को बरकरार रखा। नियमों के मुताबिक, 2 साल से अधिक की सजा होते ही विधायक एवं सांसद जनप्रतिनिधि स्वत: निलंबित माने जाते हैं। लेकिन इस मामले में विपक्ष द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपने के बाद भी कंवरलाल मीणा की सदस्यता को रद्द नहीं किया गया। विधानसभा अध्यक्ष की यह मनमानी माननीय कोर्ट और संविधान की खुली अवहेलना है।’

---विज्ञापन---

‘विधानसभा अध्यक्ष दबाव में काम कर रहे’

डोटासरा ने कहा, ‘ऐसे अनेक निर्णय हैं जो विधानसभा अध्यक्ष पर दबाव में काम करने एवं निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। माननीय अध्यक्ष से अपेक्षा है कि संविधान की शपथ को सर्वोच्च मानकर विधिमान्य न्यायसंगत निर्णय करें जिससे आसन के प्रति आस्था और गहरी बनें।’

First published on: May 19, 2025 06:20 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें