MP Rajasthan Assembly Elections BJP Ends Nepotism: भारतीय जनता पार्टी (BJP) परिवारवाद को पूरी तरह से खत्म करने में जुट गई है। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए जारी तीन लिस्ट के जरिए तो ये समझा जा सकता है। पार्टी के कई ऐसे दिग्गज नेता जो अपने बेटे-बेटियों के लिए टिकट चाहते थे, उन्हें खुद भाजपा ने चुनावी मैदान में उतार दिया। संकेत साफ है, परिवार से 1 टिकट का फार्मूला लागू हो गया है।
कहा जा रहा है कि मध्यप्रदेश वाला फार्मूला राजस्थान में भी लागू करने का मन बना लिया गया है। पार्टी के इस कदम से जहां भाजपा के दिग्गज नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है। अगर एक परिवार, एक टिकट वाला फार्मूला वाकई में लागू होता है तो फिर राजस्थान भाजपा के कई ऐसे दिग्गजों को निराशा हाथ लग सकती है, जो अपना राजनीतिक विरासत बढ़ाने की चाह रखते हैं और अपने बेटे-बेटियों के लिए पार्टी का टिकट चााहते हैं। इनमें वसुंधरा राजे से लेकर केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल तक शामिल हैं।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों की अब तक की तीनों लिस्ट के जरिए भाजपा ने टिकट बांटने के फॉर्मूले और परिवारवाद को लेकर अपनी रणनीति साफ कर दी है। कहा जा रहा है कि बीजेपी ने ‘एक परिवार, एक टिकट’ के फॉर्मूले को लागू किया, तो राजस्थान में कई राजनीतिक कुनबे सिमट जाएंगे। मध्यप्रदेश में जिन वरिष्ठ नेताओं को विधानसभा का टिकट दिया गया है, उनके परिवार से किसी को भी 2024 के लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया जाएगा। ऐसा ही बिलकुल राजस्थान में भी हो सकता है।
One Family One Ticket Formula से किसे नुकसान?
- पूर्व सीएम वसुंधरा राजे: 2003 से लगातार विधायक और उनके पुत्र दुष्यंत सिंह साल 2004 से लगातार सांसद हैं।
- निहालचंद मेघवाल गंगानगर-हनुमानगढ़ से सांसद हैं। उनके भाई लालचंद मेघवाल राजनीतिक में एक्टिव हैं और रायसिंहनगर से विधायक हैं। लालचंद मेघवाल इस बार भी रायसिंहनगर से टिकट की चाह रख रहे हैं।
- राम सिंह कस्वां चुरू से सांसद रहे हैं। फिलहाल, उनके बेटे राहुल कस्वां फिलहाल चुरू से सासद हैं राम सिंह कस्वां की पत्नी कमला कास्वां सादुलपुर से विधायक रह चुकी हैं। कहा जा रहा है कि राम सिंह कस्वा इस बार भी टिकट मांग रहे हैं।
- केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल बीकानेर से सांसद हैं। वे अपने बेटे रवि मेघवाल के लिए श्रीडूंगरपुर विधानसभा से टिकट मांग रहे हैं।
- पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के दामाद और जयपुर के विद्याधर नगर से विधायक नरपत सिंह राजवी, अपने बेटे अभिमन्यु राजवी के लिए टिकट मांग रहे हैं।
- पूर्व सांसद घनश्याम तिवाड़ी अपने बेटे आशीष तिवाड़ी के लिए सीकर विधानसभा से टिकट की मांग कर रहे हैं।
‘एक परिवार, एक टिकट’ सियासी परिवारों पर डाल सकता है असर
कहा जा रहा है कि ‘एक परिवार, एक टिकट’ वाले फार्मूला से भाजपा के कई सियासी परिवारों को नुकसान हो सकता है। हालांकि भाजपा के कई नेताओं का ये भी कहना है कि टिकट उसे ही मिलेगा, जिस पर संगठन को भरोसा होगा, जिस पर संगठन दांव लगा सकती हो।
उपचुनाव में भाजपा अपना चुकी है वन परिवार, वन टिकट फार्मूला
बता दें कि भाजपा ने हाल ही में राजस्थान में दो विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव में ‘वन परिवार, वन टिकट’ फार्मूला को अपनाया था। धरियावाद और मंडावा विधानसभा के उपचुनावों में भाजपा ने इस फार्मूला को अपनाया जरूर था, लेकिन उसे इसका खामियाजा उठाना पड़ा था। एक सीट पर तो भाजपा को 2018 के चुनाव में जीत मिली थी, लेकिन उपचुनाव में ये सीट भाजपा के हाथ से निकल गई।