Rajasthan News: राजस्थान के अलवर जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक परिवार अपने घर के सदस्य को खो चुका था। काफी जगह तलाश के बाद उसका कोई सुराग नहीं लगा। कई दशक बीत गए। परिवार वालों ने उसका मृत्यु प्रमाण पत्र भी बनवा लिया, लेकिन 33 साल बाद वो शख्स अचानक सामने आ गया। उसे देख कर परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसाल, 75 वर्षीय हनुमान सैनी दिल्ली के खारी बावली में काम करते थे। यहां से वे वर्ष 1989 में अचानक लापता हो गए। अब करीब तीन दशक बीत जाने के बाद 30 मई को वे अचानक अलवर के बंसूर गांव पहुंचे। गांव वालों को जब इस बात की जानकारी हुई तो हुजूम उमड़ पड़ा।
33 साल तक कांगड़ा में रहकर की भक्ति
बताया गयाहै कि हनुमान सैनी के सभी पांच बच्चों (तीन बेटियों और दो बेटों) की अब शादी हो चुकी है। 70 वर्षीय सैनी ने दावा किया कि उन्होंने पिछले 33 साल हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा माता मंदिर में देवी की भक्ति में ध्यान लगाते हुए बिताए थे। पिछले वर्षों में उनके परिवार ने उन्हें खोजने की सारी उम्मीद खो दी थी। उन्हें मृत मानते हुए उनका तर्पण कर दिया और उनका मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया।
हनुमान सैनी ने बताया कि जब मैं ट्रेन में चढ़ा तो टीटी ने टिकट मांगा, लेकिन मेरे पास केवल 20 रुपये थे। इस पर उन्होंने मुझे पठानकोट तक का टिकट दिया, जहां से मैं हिमाचल में कांगड़ा माता मंदिर पहुंचा। सेवा और पूजा में 33 साल बिताए। सैनी ने कहा कि बीच मैं कोलकाता में गंगासागर और काली मैय्या मंदिर गया। अंत में अपना ध्यान और पूजा पूरी करने के बाद देवी ने मुझे घर लौटने का निर्देश दिया।
घर लौटते समय एक शख्स ने पहचाना
29 मई को हनुमान सैनी ट्रेन से राजस्थान के खैरथल पहुंचे। रात में ततारपुर क्रॉसिंग पर पहुंचने के लिए पैदल यात्रा की। बताया गया है कि 30 मई की सुबह जब वह अपने घर वापस जाने के लिए कुछ राहगीरों से मदद मांग रहे थे, तो एक शख्स ने उन्हें पहचान लिया और अलवर में उनके घर पहुंचाया।
हनुमान सैनी के बड़े बेटे रामचंद्र सैनी ने कहा कि उनके पिता के 33 साल तक लापता रहने के बाद परिवार ने उनके जिंदा होने की सारी उम्मीदें छोड़ दी थीं। उन्हें जमीन संबंधी मामलों में भी दिक्कत आ रही थी। लिहाजा 2022 में कोर्ट के जरिए पिता का डेथ सर्टिफिकेट बनवा लिया।
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