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Kota Student Suicide: बेटे की मौत के वक्त पिता को आया था ये ख्याल, मोबाइल देखते वक्त आंख से टपके आंसू, फिर मिली दुखद खबर

Kota Student Suicide: शिक्षा नगरी कोटा में इन दिनों कोहराम मचा हुआ है। पिछले 7 महीने में 20 से ज्यादा छात्रों ने सुसाइड कर लिया है। ऐसी ही एक कहानी है पूर्वी चंपारण के जितेंद्र मिश्रा की। जितेंद्र मिश्रा पेशे से स्कूल टीचर है। शुक्रवार को रोजाना की तरह वे भी स्कूल से घर लौटकर […]

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Aug 7, 2023 10:18
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Kota Student Suicide

Kota Student Suicide: शिक्षा नगरी कोटा में इन दिनों कोहराम मचा हुआ है। पिछले 7 महीने में 20 से ज्यादा छात्रों ने सुसाइड कर लिया है। ऐसी ही एक कहानी है पूर्वी चंपारण के जितेंद्र मिश्रा की। जितेंद्र मिश्रा पेशे से स्कूल टीचर है। शुक्रवार को रोजाना की तरह वे भी स्कूल से घर लौटकर मोबाइल में कोटा की सुसाइड की खबर देख रहे थे। उसी दौरान उनके मन एक विचार आया कि उन्हें भी अपने बेटे की खबर लेनी चाहिए। उन्होंने अपने बेटे का हालचाल पूछने के लिए फोन किया तो उसने फोन नहीं उठाया। इसके बाद पिता ने हाॅस्टल के वार्डन को फोन किया। तो पता चला उनका भी बेटा नहीं रहा।

पिता की आंखों से नहीं थम रहे आंसू

पूर्वी चंपारण के जितेंद्र मिश्रा ने 17 साल के बेटे को इंजीनियर बनाने का सपना देखकर कोटा भेजा था। लेकिन कुछ दिनों के बाद ही उसकी लाश को कोटा से वापस गांव लाना पड़ रहा है। बता दें कि जितेंद्र मिश्रा के बेटे भार्गव मिश्रा ने महावीर नगर थर्ड के एक पीजी में फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया। मौके पर पहुंची शव को अस्पताल पहुंचाया। पहले से जानकारी के चलते भार्गव के पिता भी कोटा पहुंच चुके थे। पोस्टमाॅर्टम रूम के बाहर बैठे पिता की आंखों से आंसू नहीं थम रहे थे।

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बेटे को याद कर बेहोश हो जाती है मां

जितेंद्र मिश्रा ने बताया कि वह तो कोटा के किसी छात्र की सुसाइड की खबर पढ़ रहे थे उन्हें क्या पता कि वह भी उसी का हिस्सा बनने वाले हैं। पत्नी ने पूछा भार्गव से बात हुई समझ नहीं आया क्या जवाब दूं। थोड़ी देर परिवार के अन्य सदस्यों को सूचित किया। जैसे ही पत्नी को भार्गव के बारे में पता चला तो वह बेहोश हो गई। मैं खुद को संभाल नहीं पा रहा था। मेरी पत्नी बार-बार बेटे को याद कर बेहोश हो जाती हैं।

मां की बात मान लेता तो जिंदा होता भार्गव

भार्गव के पिता जितेंद्र ने बताया कि परिवार के सदस्यों से उसकी रोज बाती होती थी। एक महीने पहले उसने अपनी मां को बताया कि उसका कोटा में मन नहीं लग रहा है। जितेंद्र ने भार्गव को फोन कर कहा कि अगर मन नहीं लग रहा है वापस आ जाओ। लेकिन उसने आने से मना कर दिया और कहा कि वह यही रहकर पढाई करेगा। हमने उसको समझाया कि अगर मन नहीं लग रहा है तो क्लास में दोस्त बनाओ, उनसे बात करो।

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बता दें कि राजस्थान का कोटा अपने कोचिंग सेंटरों के लिए मशहूर है और अब छात्रों की आत्महत्या के लिए बदनाम है। अनुमान है कि इस शैक्षणिक सत्र में मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों की प्रवेश परीक्षाओं में सफलता पाने के लिए 2.25 लाख से अधिक छात्र शहर के विभिन्न कोचिंग सेंटरों में कक्षाएं ले रहे हैं।

मई में 5 छात्रों ने की थी आत्महत्या

अकेले मई मेंए कोटा में 9 मई से 27 मई के बीच कम से कम पांच छात्रों ने आत्महत्या की थी। छात्रों के माता.पिता का आरोप है कि प्रतिस्पर्धी माहौल के कारण होने वाले तनाव से निपटने के लिए छात्रों को उचित परामर्श नहीं दिया जा रहा है। बता दें कि हर सालए देश भर से लाखों छात्र देश के टॉप इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए प्रमुख शिक्षा केंद्र में आते हैं।

इस वजह से आत्महत्या कर रहे हैं बच्चे

पिछले कुछ वर्षों में, कोटा में कई छात्रों की आत्महत्या से मृत्यु हो गई है। कई लोगों ने इसके लिए छात्रों में पढ़ाई के दबाव और फेल होने के डर को जिम्मेदार ठहराया है। मनोचिकित्सकों की मानें तो बच्चे अपने क्षेत्र में टाॅपर होते हैं लेकिन कोटा में उनका मुकाबला देश के टाॅपर बच्चों से होता है ऐसी स्थिति में जब वे पिछड़ते हैं तो तनाव में आ जाते हैं। कई बच्चे रिजर्व स्वभाव के होते हैं और अपनी परेशानियां शेयर नहीं करते।

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Written By

Rakesh Choudhary

First published on: Aug 07, 2023 10:18 AM

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